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________________ ३४८ प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी ३ सेठ अचलसिंह जी, आगरा ४ सेठ केशरीमल चोरडिया, जयपुर ५ भंडारी धूलचंद जी, रतलाम ६ लाला टेकचन्द जी, जंडियाला तथा ७ सेठ हीरालाल जी, खाचेराढवाला। यह डेपुटेशन ता० ७, ८ तथा : अप्रैल १९३१ को अमृतसर मे श्री श्री श्री १००८ पूज्य सोहनलाल जी महाराज की सेवा में उपस्थित हुआ । इस डेपूटेशन के आने के अवसर पर अमृतसर मे पञ्जाव भर के प्रमुख श्रावक भी आगए थे। डेपूटेशन ने स्थानीय सद्गृहस्थों तथा अन्य स्थानों के गृहस्थों की उपस्थिति मे श्री जी की सेवा में यथायोग्न नम्रतापूर्वक विनती की ___ "गुरुदेव । हमारी आपसे प्रार्थना है कि आप जैन तिथि पत्रिका के प्रचार को अभी स्थगित करके समाज की एकता को बढ़ाने में सहायता देने की कृपा करे और कांफ्रेस द्वारा प्रकाशित टीप को स्वीकार करने की कृपा करे ।' डेपूटेशन का यह निवेदन सुन कर श्री पूज्य महाराज ने उत्तर दिया “यद्यपि कान्फ्रेस द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट में शास्त्रानुसार कई बाते विचारणीय तथा सशोधन की जाने योग्य हैं, किन्तु श्री संघ की एकता के विचार से हम अपनी संप्रदाय का इस टीप के अनुसार कार्य करने की आज्ञा देना स्त्रीकार करते है । तथापि कान्फ्रस का यह कर्तव्य होगा कि वह अपनी टीप को शास्त्रानुसार बनाये । इस कार्य के लिये तथा श्रद्धा प्ररूपणा, साधु समाचारी, दीक्षा आदि के सम्बन्ध मे विचार करने के T
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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