SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 317
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ युवराज पद - २७६ युवाचार्य पद का महोत्सव यह निश्चय हो जाने पर आपने मुनि श्री सोहनलाल जी सहित समस्त संघ के पास समाचार भेज दिया कि वह सब चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को लुधियाना पाकर युवराज पद के ' महोत्सव में सम्मिलित हों। श्रतएव इस समाचार को पाकर अमृतसर से तथा देश के कोने-कोने से साधु, साध्वियां, श्रावक तथा श्राविकाएं लुधियाना आई। चैत्र कृष्ण त्रयोदशी संवत् १६५२ विक्रमी को एक बड़ा भारी महोत्सव मनाया गया। इसमें चार तीर्थ के समक्ष मुनिश्री सोहनलाल जी को युवाचार्य पद की चादर दी गई। इस अवसर पर आयो पावती जी को भी गणावच्छेदिका का पद दिया गया। पंचांग के सम्बन्ध में विचार युवाचार्य पदका यह महोत्सव बहुत बड़ा था। इसमें पंजाब भर के श्वेताम्बर साधु पर्याप्त संख्या में आए थे । इस सम्मेलन में मुनि श्री मयाराम जी ने जनता को सम्बोधित करते हुए निम्न प्रकार से व्याख्यान दिया। __"पूज्य श्राचार्य महाराज, युवाचार्य, गणावच्छेदिका जी, श्राचार्यों तथा मुनिगण, श्रावकाए तथा श्रावक मेरे निवेदन को सुनें।" . " "हमारे शासन के चार अंग हैं, जिनको चार अनुयोग कहा जाता है। वह यह हैं दन्यानुयोग, गणितानुयोग, चरितानुयोग तथा कथानुयोग ।
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy