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(११७ ) साके अवलोकनसे परम लाभ उठाओगें। जैसे हम लोग आप तमाम महजर वालोंके ग्रथाको देखते है इसी तरह आ पको देखने चाहिये । जन शात्रामा यही कथन है कि हरएक मतकी युक्तियांफो श्रवण करो। अगाय हो उस मानो । और माध्यसे हटो देखिये कैसी उमदा पात कही है ? परपातो नमे वीरे, न वेप कपिलादिषु । युक्ति मदचनं यस्य तस्य कार्य परिग्रह ॥१॥ ___ इत्यल पलवितेन विर वर्गपु ओम् शान्ति गान्ति शानि ॥द मुनि लब्धिविनय-दृशीयारपुर-देश पनान.