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________________ प्रथम खण्ड मजल गाव मे महान्-उपकार | ६७ श्रीमान् भीमराज जो लक्ष्मीचन्द जी के अत्याग्रह पर उज्जैन निवासी ओसवाल श्री छोगमल जी के सुपुत्र वैरागी भाई श्री वसन्त कुमार जी को भागवती दीक्षा की गुरु भगवत ने स्वीकृति फरमाई। ता० ७-४-६८ चैत्र शुक्ला नवमी रविवार की शुभ वेला मे दीक्षा का मगल महोत्सव मजल श्री सघ के पावण प्रागण मे उल्लास के क्षणो मे सम्पन्न हुआ। आस-पास के हजारो श्रद्धालु मुमुक्षुओ के अलावा कई अधिकारी कर्मचारी भी इस उत्सव में सम्मिलित हुए थे। मजल के इतिहास मे अपनी शानी का प्रथम यह धार्मिक अनुपम आयोजन था । इस महोत्सव से जैनधर्म की आशातीत प्रभावना हुई । कई जैन-जनेतर नर-नारियो ने दीक्षोत्सव देखकर अपना जीवन सफल किया । इस समारोह का सर्वश्रेय मजल संघ एव श्री भीमराज जी लक्ष्मीचन्द जी को है जिन्होंने उदार चित्त मे चतुर्विध संघ की महान् मेवा कर विपुल लाभ उपार्जन किया। आज मजल के सकल सघ सदस्य एक माला के रूप मे गुम्फित हैं। सभी महोदर की तरह मिलते-जुलते-विचारते व प्रत्येक कार्य मे सहयोगी वन हाथ बटाते हैं। घर-घर मे वहाँ आज प्रेम-मैत्री स्नेह की मीठी रसदार गगा बह रही है। जिपमे वहां के निवामीगण डुबकी लगाकर शुद्ध-विशुद्ध हो रहे हैं । उपदेश-मन्देश के प्रभाव से वहाँ नूतन सगठन का निर्माण हुआ। अतएव गुरु प्रताप का प्रताा वहाँ के वामियो पर युग-युगातर अमर-अमिट रहे इसमे आश्चर्य ही क्या है ?
SR No.010734
Book TitlePratapmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni
PublisherKesar Kastur Swadhyaya Samiti
Publication Year1973
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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