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________________ है । 'Light house' की तरह अभिनन्दन ग्रन्थ मार्गदर्शक एवं प्रेरणा का स्रोत माना है। यद्यपि साधनारत आत्मा नही चाहती कि -जनता द्वारा हमारा बहुमान हो, जीवनियाँ स्वर्णिम पृष्ठो पर लिखी जाय, भावी पीढी हमे याद करें। किंतु विवेकशील समाज स्वय उनका सम्मान करने के लिए हाथ आगे बढाता है । वह उनका वहुमान करके अपनी चिरपरपरा के विगद गौरव को अक्षण्ण रखकर एव निज कर्तव्य का पालन करता हुआ अपने आपको महानता की ओर ले जाने का सफल प्रयास भी करते हैं। __ लेखकप्रवर स्वतत्र विचारक, मननशील एव प्राजलभाषा के धनी सुलेखक है । अवकाशानुसार आपके कर-कमलो मे कलम साहित्योद्यान मे अठखेलियाँ किया ही करती है । यद्यपि पार्थिव देह से आप (लेखक प्रवर) अति कृग, अति कमजोर अवश्य जान पडते है किंतु सच्ची निष्ठा के पक्के अनुगामी है, हताश होना एव हिम्मत हारना आप जानते ही नही है। अध्ययन-अध्यापन क्षेत्र मे आपका मनोबल अत्युच्च एव उत्साह-उमग के युवक साधक भी है। आपके साधनामय जीवन को चमकाने-दमकाने का सर्व श्रेय हमारे चरित्रनायक श्री जी को है। जिनकी वलवती प्रेरणा चेतना सदैव लेखक महोदय के जीवन को आगे से आगे बढ़ने की स्फूर्ति भरती रही है। वस्तुत' चन्द शब्दो के माध्यम से प्रात स्मरणीय गुरु भगवत श्री प्रतापमल जी म सा. के उदीयमान जीवन को कुछ अशो मे दर्शाने का जो अनुपम अनुकरणीय प्रयास किया है, उसके लिए हम सभी लेखक मुनिवर के प्रति आभारी है। ___ 'मुनि श्री प्रताप अभिनदन ग्रथ' का यह सफल परिश्रम प्रत्येक बुद्धिजीवी के लिए युग-युग तक प्रकाश-स्तभ सा कार्य करेगा। ऐसी मैं आशा रखता हूँ। --मुनि सुरेश 'प्रियदर्शी
SR No.010734
Book TitlePratapmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni
PublisherKesar Kastur Swadhyaya Samiti
Publication Year1973
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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