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________________ २१६ | मुनिश्री प्रताप अभिनन्दन ग्रन्य जैन धर्मावलम्बी वना । महावीर के समवसरण मे शतानीक राजा की पत्नी मृगावती तथा चण्ड-प्रद्योत की शिवा आदि आठ पत्नियां दीक्षित हुई, उस समय चण्ड-प्रद्योत भी वहाँ पर उपस्थित था ।३५ भगवान महावीर से उसका प्रयम साक्षात्कार वही हुआ था और वही पर उसने विधिवत् जैन धर्म स्वीकार किया था ।३६ अगुत्तर निकाय अटकथा के अनुसार चण्डप्रद्योत को धर्म का उपदेश भिक्षु महाकात्यायन के द्वारा मिला था जो साधु बनने के पूर्व चण्डप्रद्योत के राजपुरोहित थे । चण्ड-प्रद्योत के आग्रह से वे तथागत बुद्ध को बुलाने गये थे। किन्तु बुद्ध के उपदेश को सुनकर साधु बन गये। बुद्ध उज्जैनी नही आये किन्तु उन्होने महाकात्यायन भिक्षु को उज्जनी भेजा। चण्डप्रद्योत उसके उपदेश से वुद्व का अनुयायी वना।' किन्तु उमका वुद्ध के साथ कभी साक्षात्कार हुआ हो ऐसा घटना प्रसग वौद्ध साहित्य मे नही है। यह स्पष्ट है कि मूल आगम और त्रिपिटक मे चण्ड-प्रद्योत के किसी विशेप धर्मानुयायी होने का उल्लेख नही है । वाद के क्या-माहित्य मे ही उसका सारा वर्णन मिलता है। वह भगवान महावीर या तथागत बुद्ध इन दोनो मे से किसका अनुयायी था? यह भी सभव है कि वह प्रारभ मे एक धर्म का अनुयायी रहा हो, वाद मे दूसरे धर्म का अनुयायी बना हो । यह भी सभव है कि उसका जैन और बौद्ध दोनो ही परम्पराओ के माय सम्बन्ध रहा हो, जिससे वाद के कथाकारो ने अपना-अपना अनुयायी सिद्ध करने का प्रयान क्यिा हो। हमारी दृष्टि से उसकी आठो रानियां जैन धर्म मे दीक्षित हुई, और वे विवाह के पूर्व भी जैन थी अत चण्ड-प्रद्योत का बाद मे जैन होना अधिक तर्क सगत लगता है। १०११११५६७ (ख) श्रावको पितरोमम" त्रिपष्टि ३५ भरनेश्वर वाहुवली वृत्ति द्वितीय विभाग प० ३२३ ३६ ततश्चण्डप्रद्योत धर्ममगीकृत्य स्वपुरम् ययौ-भरतेश्वर बाहुवली वृत्ति २।३२३ ३७ (क) अगुत्तर निकाय अटकथा १११।१० (ख) धेरगाथा-~-अटकथा भाग १ पृ० ४८३ -
SR No.010734
Book TitlePratapmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni
PublisherKesar Kastur Swadhyaya Samiti
Publication Year1973
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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