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________________ १४४ | मुनिश्री प्रताप अभिनन्दन ग्रन्थ नि सन्देह ऐसे उपायो का उद्घाटन करनेवाले और ऐसे उपायो का व्यवहारिक जीवन मे आचरण करने वाले नर-नारी भारी भूल के पात्र हैं। वे मानव-समाज का हित नहीं अहित करते हैं । मानव जीवन को पतन के गहरे गर्त में गिरने का भारी जान तैयार कर रहे है । इन उपायों से मानवजीवन का उत्थान कल्याण असम्भव है। ___ इस प्रकार आज का वैज्ञानिक वर्ग 'सतति-निरोध' इस समस्या का समाधान ढढने मे तल्लीन और प्रयत्नशील है । तथापि अद्यावधि सफलता का सूर्योदय नही हुआ है। परन्तु लीजिए इस तुच्छ समस्या का समाधान तो पतित-पावन-पवित्र प्रभु महावीर स्वामी ने आज से २५ शताब्दियो पहिले ही अपनी विमल-विशद वाणी द्वारा कर दिया था "सयम खलु जीवनम्" । हे मुमुक्षु । सयममय जीवन ही वास्तविक जीवन कहा जाता है। और देखिए - वर मे अप्पा दन्तो, सजमेण तवेण य ।" -भ० महावीर हे जितेन्द्रिय । प्रत्येक मानव को यह अवश्यमेव जानना चाहिए कि-सयम और तप के द्वारा ही वह अपनी आत्मा का दमन करे। क्योकि-इन साधनो से आत्मा को वश मे करना सर्वोत्तम है। और भी कहा है - लज्जा दया सजम बभचेर कल्लाणभागिस्स विसोहिठाण। -दशवकालिक सूत्र अर्थात् लज्जा, दया, सयम और ब्रह्मचर्य, कल्याण चाहने वालो के लिए विशुद्धि के स्थान माने है। __ "सयम्यते नियम्यते स्वरूपे स्थाप्यते आत्मा पाप पु जात् अनेन इति-सयम ॥ अपने आप को पाप पुज से हटाकर निजस्वरूप में स्थापित करना ही सयम की परिभाषा है। सयम का मतलब यह नही कि-सभी साधु वेश के धारक होवें। किन्तु इन्द्रिय एव श्रय योग (मन-वचनकाया) जो पाप और आश्रव की ओर बढ रहे हो उन्हे नियन्त्रित कर सदा-सदा के लिए तीन करण तीन योग के माध्यम से जो सवर की ओर मोड देना, वह सर्वाश सयमी जीवन कहलाता है और कुछ नियमित काल के लिए जो सावधप्रवृत्ति से निवृत्ति ग्रहण करते हैं वह देश रूप में सयमी जीवन कहलाता है। वास्तव मे सयममय जीवन ही महान् जीवन कहलाता है। सयम एक महान् शक्ति है-जो नर-नारी को नारायण का रूप प्रदान करने वाली है। अन्धकार से प्रकाश की और प्रेरित करने वाली और दशो दिशाओ मे जीवन को चमकाने-दमकाने वाली है। जैसे लालटेन मे तेल जितना गहन-गम्भीर होगा, तो प्रकाश की तीव्रता भी उतनी ही वढेगी। मानव जीवन के लिये सयम-ब्रह्मचर्य तेल है। और प्रज्ञा की प्रभा यह प्रकाश है। मानव जीवन मे सयम रूपी तेल का अजस्र स्रोत प्रदीप्त होता रहेगा तो बुद्धिमत्ता उतनी तेजस्विनी होती रहेगी। अगर जीवन मे किसी भी बात का सयम (कण्ट्रोल) नही, तो निश्चय ही सर्वशक्तिया कमजोर और शुष्क हो जाएगी। सयम आध्यात्मिक जीवन को तथा भौतिक जीवन को ऊँचा उठाने वाला एक सर्वोत्तम साधन है। विनोबा जी भी यही कहते हैं --- 'सयममे ही जीवन का विकास सम्भव है"। एकदा महात्मा गाधी जापान की यात्रा पर गये । जापान देश-सभ्यता सस्कृति एव कला विज्ञान मे काफी अगुआ रहा है। जापान पहुचने पर वहां के निवासियो ने भाव भीना स्वागत सत्कार कर अपनी संस्कृति मभ्यता की पूरी जानकारी अवगत करवाई। बापू ने वहाँ कई विशेष नई-नई चित्रित
SR No.010734
Book TitlePratapmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni
PublisherKesar Kastur Swadhyaya Samiti
Publication Year1973
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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