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जब बच्चे चक्राकार झूले पर झूलते हैं तब उनका मन झूले तक ही सीमित रहता है, क्योंकि चक्राकारिता एकाग्रता मे सहायक होती है । अतः नवकार मन्त्र के जप के लिए भी विशेष आसनो के प्रयोग का विधान है। अरिहन्त से लेकर साधु तक पुन. पुन. आरोहण-अवरोहण की प्रक्रिया के रूप में ध्वनि का भी एक वतुल बन जाता है, उससे भी मन की एकाग्रता मे सहायता मिलती है।
जब विद्युत-प्रवाह तेज हो जाय तब शरीर को वोसरा कर--अर्थात् कायोत्सर्ग करके खड़े होकर ध्यान करते हुए जप करने से हमारी विद्युत-धारा पृथ्वी और आकाश की प्रोर सीधे प्रवाहित होती हुई अनावश्यक तत्त्वो को शरीर से बाहर फैक देती है । अतः कायोत्सर्ग-मुद्रा मे जप का एक विशेष महत्त्व है।
___नवकार मन्त्र का यन्त्र के रूप मे भी प्रयोग होता है। यह एक प्रकार की त्राटक-क्रिया है, इससे साधक मानसिक एकाग्रता और ध्यान की एक-तानता का अभ्यास करता है। मानपूर्वी यन्त्रात्मक नवकार मन्त्र के जप का ही एक रूप है।
इसी प्रकार अष्टदल कमल के रूप मे भी नवकार मन्त्र की साधना की जाती है । सर्वप्रथम कमल के मध्य मे कणिका एव किजल्क स्थानीय केन्द्र में 'नमो अरिहताण' लिखा जाता है। फिर उत्तर पूर्व, दक्षिण और पश्चिम की पखुड़ियो मे क्रमश. नमो सिद्धाण, नमो पायरियाण, नमो उवज्झायाण, नमरे
[पन्द्रह