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(देखो नं० १२३) (देखो नं० १२७)
वसुनन्दि-श्रावकाचार दीसइ
कर्म० व० ल० । दीसंति देइ
कर्तृ० ल०
१२२, १६२,
७२, १२०, इत्यादि
१२८-धर = धृ (धारण करना)
सब० कृ० वि० ल. व० ल०
१५८,१६३, इत्यादि
३१४, ५६, १४६,
। धरिऊण
धरिज्ज धरह (धरेऊणं धाव धारेइ धूविज्ज
१२६-धाव = धाव (दौड़ना) १३०-घार = धारय् (धारण करना) १३१-धूव = धूपय् (धूप खेना)
७३, १०२,
वि० ल०
१६७ ४३६
वि० ल०
व० कृ०
स० कृ० २८२, ३०४, ३०८, ४०२, व० ल०
१०३, १२१
क० व० ल० -
व० ल० भू० कृ० स० कृ०
११३, १३७,
२११,
४६८,
१३२-पउंज = प्र+ युज् जोड़ना पउंजए
(व्यवहार करना) १३३-पकुव्व = प्र+कृप्र+कुर्व पकुव्वंतो
(करना) १३४-पक्खाल = प्र+क्षालय (धोना) पक्खालिऊण १३५-पक्खल % प्र+स्खल पखलइ
(स्खलित होना) १३६-पच्चार % उप्पा + लम्भ पञ्चारिज
(उलाहना देना) १३७-पड = पत् (गिरना)
पडइ
पडियं १३८-पडिबुज्झ% प्रति+बुध (पडिबुज्झिऊण (जागृत होना)
पडिबुद्धिऊण १३६-पडिलेह = प्रति+लेखम,
पडिलेहाइ (देखना)
पडिलेहिऊण १४०-पडिबज = प्रति+पद (स्वीकार करना)
पडिवजिऊण (देखो नं० १३७)
पडंति १४१-पत्थ = प्र + अर्थय् (चाहना) पत्थेइ
(पभइ १४२–पभण = प्र+भण (कहना) उपभणंति
(पभणामि १४३-पयच्छ प्र+ यम् (दना) पयच्छति १४४-पयास % प्र+काशय (व्यक्त पयासंतु
करना)
२६८,
व० ल० सं० कृ०
३०२, २८५,
५१८, ५२४,
व० ल०
७१,
१५२,
वर्त० ल. वर्त० ल.
।
३०६
६० १४२
२४४ २५५,२५६,२५७
२४६
आ.ल.