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वसुनन्दि-श्रावकाचार
१२७, १३१
५२०
५६-गच्छ-गम् (जाना)
भू० कृ० वर्त० ल. वर्त० कृ० वि० ल० व० ल० व० कृ० व० ल. सं० कृ०
३२८ ३०८ ३६८
गो गच्छइ गच्छमाणे गच्छिजो गच्छंति गजंतो गणेइ (गमिऊण
गहिऊण गहियं गायइ गेण्हति गंतूण
६०-गज-गर्ज (गरजना) ६१--गण-गणय् (गिनना) ६२-गम-गमय (व्यतीत) करना ६३-गह-ग्रह (ग्रहण करना) ६४-गा-गै (गाना)
(देखो नं० ६३) ६५-गम-गम्-(जाना) .
२८९ २८३, इत्यादि
भ०० वर्त० ल०
७४
सब० कृ०
११० ७५,११० इत्यादि
३५८
६६ -घड-घटय (बनाना) ६७-घस-घृषु (घिसना) ६८-घाय-हन् (विनाश करना)
(घडाविऊण
घडाविजा घसंति घाएइ
संब० कृ० वि० ल० व० ल.
३६३
१६६
६९-घि-ग्रह (ग्रहण करना)
घित्तण
स० कृ० व० ल०
७५,१४७
घिप्पड़
१०२
७० [चय-त्यज् (छोड़ना) चु-च्यु (मरना)
चइऊरण ७१-चड-श्रा+रुह (चढ़ना) चडाविऊण
(चिट्ठ ७२-चिह-स्था (बैठना)
चिट्टए ) चिट्ठ
(चिट्टेज ७३-चिंत-चिन्तय (चिन्ता करना) चिंतेइ ७४-चुएण+कर-चूर्ण+कृ (चूर्ण चुरणीचुएणीकुणंति
करना)
सं० कृ० प्रे०णि० सं० कृ० व० ल० व० ल० सं० कृ० वि० ल० वर्त० ल०
१०७ ५०४ ४६६
१८७
४१८ ११४
१६७
१५८
७५-छेत्र-छेदय (छेदना) ७६–छिव-स्पृश् (छूना) ७७-छुट्ट-छुट् (छूटना)
७४
छिंदामि छिवे । छुट्टसि
सं० कृ० व० ल. सं० कृ० व० ल० भू० कृ० वर्त० ल.
1 छुट्टो
१५६
५८–छुह-क्षिप् (डालना)
५२३
छुहति
१४४, १५८
छुहिति