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________________ ६९६ तुंडिय = थंगला पालु = "पान पडियाणिया : वहियावासी : वुग्गह = =थंगली प्राकृत साहित्य का इतिहास गंड = स्तन वीरल श्वेन पक्षी उदद्दर = भिक्ष फ़ुट्टपत्थर टूटे हुए पत्थर कंवडिय = कितना वीसुंभण = जीव और शरीर का पृथके = अन्य गच्छ का बृहत्क+पसूत्र (दसूत्र ) * बच्चा = मन हरियाहडिया = हताहनिका पवत्तिणी = साध्वियों में प्रधान साध्वी दिहलि = शिवा वगडा = नाड़ सिहिरिणी = शिखरिणी-दही और चीनी से बना एक निष्ट वध (श्रीखंड ) तिरडपट्ट= वृक्षविशेष की छाल का बना कपड़ा सणय = राम = कनात = पढा मेरा = मर्यादा चिलिया मिलिया: अहालन्दं = काल का एक परिमाण सक्कुली = शष्कुली = तिलपापड़ी नीड (निर्हत ) = निर्गत मोय = पुत्र ( ख निशीथ भाष्य ( भाष्यों का समय ईसवी सन् की लगभग चौथी शताब्दी ) वाल' = गुड़िया जड्डु = हाथी उंमुग = अलाय = जलता हुआ काष्ठ छप्पत्ति = जूँ ( छह पैरवाली ) दोगच = दारिद्र्य कहोल=ल से तैयार की हुई भूमि गलोल = एक प्रकार का पात्र हाउणालो = अँगूठी : कोलुग = वगाल घडा = गोष्ठी टीना खोल = गोरस में भावित १. मराठी में बाहुली । दगवारय = हुआ उसु = नि खरकम्मिय राजपुरुष चमढ = निष्कारण गण से बहिष्कृत संगती वहखुर = रावुर = • श्रेष्ठ घोड़ा कामजल = स्नान करने की चौकी खोल = फोटर दमअ = दरिद्र नेड्डु = घर भोड़या : = पनी (मैथुन के लिये ग्रहण योग्य) = नागा या फूआ की लड़की साली विग्गह = जननेन्द्रिय अहिणव = अि ओम = दुर्भिक्ष • जलोदर डउयर = लाया = लाजा कुडुभग = जल का मेट्रक कोणय : = लाठी अंचिय = दुर्भिक्ष कमणी = जूते मालवण : = मालव पर्वत पर रहनेवाले चोर
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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