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प्राकृत साहित्य का इतिहास परवर्ती भारतीय साहित्य को प्राकृत ने अनेक रूप में प्रभावित किया। मध्ययुगीन संत कवियों, वैष्णव भक्तों, सूफियों के प्रेमाख्यानों सतसइयों, वैराग्य-उक्तियों और नीति-वाक्यों पर इस साहित्य की छाप पड़ी। अब तक संस्कृत माहित्य को ही विशेष महत्व दिया जाता था, लेकिन प्राकृत के विपुल साहित्य के प्रकाश में आने से अब इस साहित्य के अध्ययन की ओर भी विद्वानों की रुचि बढ़ेगी, ऐसी आशा है।