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प्राकृत साहित्य का इतिहास धर्मनृप, सुरसेन महासेन, केशरि चोर, सुमित्र मंत्री, रणशूर नृप
और जिनदत्त व्यापारी की कथाओं का वर्णन है। दूसरे उल्लास में कामदेव श्रावक आदि और तीसरे उल्लास में चुलनीपिता श्रावक
आदि की कथायें कही गई हैं। ___इसके अतिरिक्त, अंतरंगप्रबोध, अंतरंगसंधि, गौतमभाषित, दशदृष्टांतगीता ( कर्ता सोमविमल ), नारीबोध, हिताचरण, हितोपदेशामृत आदि प्राकृत ग्रन्थों की जैन औपदेशिक-साहित्य में गणना की जा सकती है।'
१. देखिये जैन ग्रंथावलि, पृष्ठ १६८-१९ ।