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आगम साहित्य में कथायें संयम, तप और त्याग के उपदेशपूर्वक धर्मकथा का विवेचन किया गया है। धन्य सार्थवाह और उसकी चार पतोहुओं की कहानी एक सुंदर लोककथा है जिसके द्वारा कल्याणमार्ग का उपदेश दिया गया है। इसी प्रकार मयूरी के अंडे, दो कछुए, तुंबी, नंदीफल वृक्ष, कालियद्वीप के अश्व आदि दृष्टांतों द्वारा धार्मिक उपदेश दिया है। जिनपालित और जिनरक्षित का आख्यान संसार के प्रलोभनों से बचने के लिये एक सुंदर आख्यान है। तालाब के मेढक और समुद्र के मेढक का संवाद उल्लेखनीय है। सूत्रकृतांग में कमलों से आच्छादित सुन्दर पुष्करिणी के दृष्टांत द्वारा धर्म का उपदेश दिया है। इस पुष्करिणी के बीचोंबीच एक अत्यंत सुन्दर कमल लगा हुआ है। चार आदमी चारों दिशाओं से इसे तोड़ने के लिये आते हैं, लेकिन सफल नहीं होते । इतने में किनारे पर खड़ा हुआ कोई मुनि इस कमल को तोड़ लेता है। आख्यानसंबंधी दूसरी महत्वपूर्ण रचना है उत्तराध्ययनसूत्र | यह एक धार्मिक काव्य है जिसमें उपमा, दृष्टांत तथा विविध आख्यानों और संवादों द्वारा बड़ी मार्मिक भाषा में त्याग और वैराग्य का उपदेश दिया है। नमिप्रव्रज्या, हरिकेश-आख्यान, चित्तसंभूति की कथा, मृगापुत्र का आख्यान, रथनेमी और राजीमती का संवाद, केशी-गौतम का संवाद, अनाथी मुनि का वृत्तान्त, जयघोष मुनि और विजयघोष ब्राह्मण का संवाद आदि कितने ही आख्यान और संवाद इस सूत्र में उल्लिखित हैं जिनके द्वारा निर्ग्रन्थ प्रवचन का विवेचन किया गया है। मरियल घोड़े के दृष्टांत द्वारा बताया है कि जैसे किसी मरियल घोड़े को बार-बार चाबुक मार कर चलाना पड़ता है, वैसे ही शिष्य को बार-बार गुरु के उपदेश की उपेक्षा न करनी चाहिये । एडक (मेंढा) के दृष्टांत द्वारा कहा है कि जैसे किसी मेंढे को खिला-पिलाकर पुष्ट किया जाता है, और किसी अतिथि का स्वागत करने के लिये उसे मारकर अतिथि को खिला दिया जाता है, यही दशा अधर्मिष्ठ जीव की होती है। विपाकश्रुत में पाप-पुण्य-संबंधी कथाओं का