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दिगंबरों की आगम-मान्यता
२७३ हरिवंशपुराण, और आदिपुराण तथा जिनसेन के शिष्य गुणभद्र की उत्तरपुराण का अन्तर्भाव होता है ; २ करणानुयोग में सूर्यप्रज्ञप्ति, चंद्रप्रज्ञप्ति और जयधवला का अन्तर्भाव होता है; ३ द्रव्यानुयोग में कुन्दकुन्द की रचनायें (प्रवचनसार, पञ्चास्तिकाय, समयसार आदि), उमास्वामि का तत्वार्थसूत्र और उसकी टीकायें, समन्तभद्र की आप्तमीमांसा और उसकी टीकाओं का समावेश होता है; ४ चरणानुयोग में वट्टकेर का मूलाचार और त्रिवर्णाचार तथा समन्तभद्र के रनकरण्डनावकाचार का अन्तर्भाव होता है।'
Odhedpo
१. श्वेताम्बर सम्प्रदाय में चरणकरणानुयोग में कालिकश्रुत, धर्मानुयोग में ऋषिभाषित, गणितानुयोग में सूर्यप्रज्ञप्ति और द्रव्यानुयोग में दृष्टिवाद आदि के उदाहरण दिये हैं; उत्तराध्ययनचूर्णी, पृ० ।
२८ प्रा० सा०