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२३६ प्राकृत साहित्य का इतिहास
एक लौकिक कथा पढ़िये
एगंमि गामे एको कोडुबिओ धणमंतो बहुपुत्तो य | सो वुड्ढीभूतो पुत्तेसु भरं संणसति । तेहि य पजायपुत्तभंडेहिं पुत्तेहिं भज्जाओ भणियाओ-एयं उव्वलणण्हाणोदग-भत्तसेज्जमादीहि पडियारिज्जइ । ताओ यं कंचि कालं पडियरिऊण पच्छा पुत्तभंडेहिं वड्ढमाणेहिं पच्छा सणियं सणियं उवयारं परिहावेउमारद्धाओ। कदायि देंति, कदायि ण देति । सो सूरदि | पुत्ता य णं पुच्छंति । सो भणइ-पुव्वपुव्वुत्तं अंगसुस्सूसं परिहायति । ताहे ते ताओ बहुगामो खिज्जंति । पुणो पुणो निब्भत्थमाणीओ, पुणो अम्हे णिकज्जोवगस्स थेरस्स एयस्स तणएणं खलियारिज्जामो ताहे ताओ रुठ्ठाओ सुट्टयरं न करेंति । पच्छा ताहिं संपहारेऊणं अपरोप्परं भणंति पतिणो-अम्हे एयस्स करेमो विणयवत्तिं, एसो निण्हवति । कतिवि दिवसे पडियरिओ, पुच्छिओ किंचि-ते इदाणी करेंति ? ताहे तेण पुव्विल्लगरोसेणं भण्णइहाण मे किंचिवि करेंति| कइतवेण वा ताहे तेहिं उच्चइ-विवरीतो भूतो एस थेरो। जइ वि कुव्वति तहवि परिवदति । एस कयग्यो । कीरमाणेवि णिण्हवति । अन्नेसि पि णीयल्लगाणं साहेति ।
-किसी गाँव में कोई धनवान कौटुंबिक रहता था। उसके . बहुत से पुत्र थे। जब वह वृद्ध हुआ तो उसने अपने पुत्रों को सब भार सौंप दिया। उसके पुत्रों ने अपनी भार्याओं को आदेश दिया कि तुम लोग उबटन, स्नान, भोजन, शय्या आदि के द्वारा अपने श्वसुर की परिचर्या करना । कुछ समय तक तो वे परिचर्या करती रहीं, लेकिन जैसे-जैसे उनके बाल-बच्चे बढ़ने लगे, उनकी परिचर्या कम होती गई। कभी वे उसे भोजन देती, कभी न देतीं । बूढ़ा यह देखकर बहुत चिंतित हुआ । अपने पुत्रों के पूछने पर उसने बताया कि अब वे पहले जैसी सेवा उसकी नहीं करतीं। यह सुनकर बहुओं को बहुत खीझ हुई। उन्हें अब बार-बार डाटफटकार पड़ने लगी। उन्होंने सोचा कि अस्थिर चित्तवाले इस बूढ़े के पुत्रों द्वारा हमें बार-बार अपमानित होना पड़ता है।