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पहला अध्याय
भाषाओं का वर्गीकरण . - उपभाषाओं अथवा बोलियों को छोड़कर सारी दुनिया की भाषाओं की संख्या लगभग दो हजार कही जाती है। इनमें . अधिकांश भाषाओं का तो अध्ययन हो चुका है, लेकिन अमरीका, अफ्रीका तथा प्रशांत महासागर के दुर्गम प्रदेशों में बोली जानेवाली भाषाओं का अध्ययन अभी नाममात्र को ही हुआ है। इन सब भाषाओं का वर्गीकरण चार खंडों में किया गया है-अफ्रीकाखंड, युरेशियाखंड, प्रशान्तमहासागरीयखंड और अमरीकाखंड | युरेशियाखंड में सेमेटिक, काकेशस, यूराल-अल्टाइक, एकाक्षर, द्राविड़, आग्नेय, अनिश्चित और भारोपीय (भारतयूरोपीय ) नाम की आठ शाखाओं का अन्तर्भाव होता है। भारोपीय कुल की भाषायें उत्तर भारत, अफगानिस्तान, ईरान तथा प्रायः सम्पूर्ण यूरोप में बोली जाती हैं। ये भाषायें केंटुम् (लैटिन भाषा में सौ के लिये केंटुम् शब्द का प्रयोग होता है) और शतम् (संस्कृत में सौ के लिये शतम् शब्द का प्रयोग होता है ) नाम के दो समूहों में विभक्त हैं। शतम् वर्ग में इलीरियन, बाल्टिक, स्लेवोनिक, आर्मेनियन और आर्यभाषाओं का समावेश होता है। आर्य अथवा भारत-ईरानी उपकुल की तीन मुख्य भाषायें हैं---ईरानी, दरद और भारतीय आर्यभाषा । पुरानी ईरानी के सब से प्राचीन नमूने पारसियों के धर्मग्रन्थ अवेस्ता में पाये जाते हैं। यह भाषा ऋग्वेद से मिलती-जुलती है। दरद भाषा का क्षेत्र पामीर और पश्चिमोत्तर पंजाब के बीच में