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व्याख्यान-छहा.
तीन
तेतीस
,
भगवान के पास जाने के लिये मुंडा हाथका (यानी एक हाथका) शरीर बनाते हैं उसे माहारक शरीर कहते हैं। तैजल और कार्माण शरीर तो आत्मा को अनादिकाल से लगे हुए हैं। जव मोक्षमें जायेंगे तब उनका वियोग होगा।
नरक सात हैं। उनमें आयुष्य निम्न प्रकार है :__ पहली नारकी का - मायुष्य एक सागरोपमा.
दूसरी ... तीसरी ...
सात चौथी
" दश " पांचवीं
सत्रह छट्टी
- बाईस , ... सातवीं
सागरोपम किसे कहते हैं :- ...
चार योजन लम्वा, चार योजन गहरा, चार योजन चौड़ा ऐसा एक खाड़ा या गड्डा खोदों। उस खाडे से सातः दिनके जन्मे हुए युगलिया के वालों के सूक्ष्म टुकड़े करके भरो । ऐसे ट्रंस ढूंसके भरो कि उसके ऊपर से चक्रवर्ती सैन्य चला जाय फिर भी दवे नहीं। ऐसे दश कोडाकोडी पल्योपम का एक सागरोपम होता है। यहां योजन अर्थात् चार कोस समझना चाहिए । .. आहार तीन प्रकार के हैं :- ..... .....: (१) ओजाहार (२) लोमाहार और (३) कवलाहार।
... विग्रहगतिवाला अथवा ऋजुगतिवाला जीव उत्पत्ति . के प्रथल समय तैजस कार्मण शरीरके द्वारा जो ओदारिकादि
शरीर योग्य पुद्गल ग्रहण करता है और दूसरे समय से