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________________ व्याख्यान-चौथा.. . ... भगवा ..बोला कि अब क्या करूँ ? गड्डा खोदकर इस लकड़े को ... गड्ढे में रख दे । उसके बाद जबतक मैं तुझे दूसरा काम नहीं बताऊँ तव तक इस खम्भे के ऊपर चढ़ और उतर । भूत समझ गया कि यह तो सूर्ख बनाने की बात है। शेठकी आज्ञा लेकर वह चला गया। इसी तरह मनको भी स्थिर करने के लिये शुभ कामों में लगाओं, जिस ले . मन इधर-उधर भटकने से रुक जाय और अनर्थ कर्ता .. नहीं बनें। - ज्ञानीको और दानवीर को शास्त्रकारोंने कल्पवृक्ष के - . समान कहा है। . .. भगवान ने जो किया है वह नहीं करना है किन्तु भगवानने जो कहा है वही करना है। शेठ जो कहता है वही नौकर को करना है लेकिन शेठ जो करता है वह नौकर को नहीं करना है, अगर नौकर भी गादीके ऊपर . वैठ कर हुक्म करने लगे तो नौकर को नोकरीमें से छूटा .. होना पड़े। ... एक हजार वर्ष तक मासखमण के पारणा के दिन ... '२१ वक्त धोए हुए चावल का पारणा करके फिरसे मास खमण की तपश्चर्या करनेवाला भी तामली तापस था, फिर सम्यक्त्व के बिना तपश्चर्या की कुछ भी कीमत-कदर नहीं होती है। ... . ...... समग्र संसार चक्रमें क्षायिक समकित तो जीव को एकही दफे आता है। अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया और लोभ तथा समकित मोहनीय मिश्र मोहनीय और .... मिथ्यात्व मोहनीयं इस दर्शनसप्तक का सम्पूर्ण क्षय होनेसे . प्राप्त हुआ समकित क्षायिक समकित कहलाता है।...:
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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