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प्रवचनसार कर्णिका
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• संयम में स्थिर किया। मुनि गुरु महाराज के पास पहुंच :
गये । आत्मभाव में स्थिर रहके संयम में स्थिर वो। इस .. ' का नाम पतिव्रत स्त्री कहा जाता है।
सम किती का मन मुक्ति में होता है। और शरीर संसार में होता है।
रस झरते मादक पदार्थ खाने से विकार उत्पन्न होता है। इसलिये रस कस विना का भोजन करना चाहिये। विगईयों का त्याग करने से दम भी मिट जाता है।
मूल छोटी हो कि बड़ी दरेकका प्रायश्चित लेना - चाहिये। भगवान की आज्ञा रूपी लगाम जिसके हाथ में - आजाय वह आत्मा संसार से पार पहुंच सकता है।
अच्छा मिलने पर राजी न हो और खराव मिलने . ' पर सुख वराव नहीं वनावे तो समझ लो कि धर्म वसा है।
दरेक वस्तु में चार निक्षेपा होते है। द्रव्य-क्षेत्र-काल और भाव। इन चार निक्षेपों को समझ के चलना चाहिये।
कुमारपाल के राज्य में ले मोहराजा की पुत्री हिंसा रिसा के चली गई थी क्यों कि कुमारपाल राजा अहिंसा के उपासक थे।
जड पदार्थाने जगत के जीवों को पागल बनाया है। पैसा जड, घर जड, काया जंड, मोटरकार जड, यह सब 'जड होने पर भी उसके प्रति ये जीव कैसे रागी वन रहे हैं?
अगर उपाश्रय में स्त्री के फोटो (चित्र) हों तो वहां -साधु नहीं रहता है। एला दश वैसालिक सूत्र में फरमान है। क्यों कि स्त्री का चिन भी विकार का कारण है। ... जिल को विरति रूपी रानी है। समता, विवेक और