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________________ व्याख्यान - तीसवाँ ३९१ हैं । पुत्रीका पैला लेने से कौनसी गति में जाना पड़ेगा उसका विचार करना चाहिए | भगवान गौतम स्वामी सहावीर परमात्मा से पूछते हैं कि हे भगवन् ! मनुष्य पहले क्रिया करते है ? कि पहले वेदना भोगता है ? परमदयालु भगवंतने उत्तरमें कहा कि :- पहले क्रिया करता है फिर वेदना भोगता है । क्रिया करने से कर्म बंधता है । वह उदयमें आवे तव अनुभव करना पड़ता है । आत्मा के परिणाम पल-पल बदलते रहते हैं । जैसी क्रिया वैसे परिणाम । वाहरकी क्रिया का असर अन्तर में पड़ता है । आज विज्ञान बढ़ गया है । विज्ञानका अर्थ होता हैं विचार विना का ज्ञान | यह अर्थ आजके कहे जानेवाले विज्ञानको अनुलक्ष करके ही है । जहां आत्मा का जरा भी विचार नहीं है, परन्तु वैदिक लालसा की तृप्तिका ही विचार है । पसे ज्ञानको 'विचार विना का ज्ञान कहने में क्या विरोध ? डगले ने पगले (कदम कदम पर ) वैज्ञानिक साधनों का बढ़ना मानव जीवनको भयभीत बना रहा है । जैसे शुष्क घासको जलाते देर नहीं लगती है उसी तरह आश्रवका द्वार बंद करके धर्म करो, इसलिये धर्म तुरंत असर करेगा । मन, वचन काया के योग एक समान नहीं होने से प्रमाद से कर्म आते हैं । प्रमाद से जीव अनेक जीवों की हिसा करता है । प्रमादी साधुका काल कितना ? जघन्य
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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