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प्रवचनसार कर्णिका
कि जो दूसरी जगह कहीं भी नहीं है । अपने राज्य में भी उसकी खामी (कमी) है ।
राजाने उसी समय अपने मनुष्यों को हुक्म दिया और दूसरे राज्यमें जिन कारीगरों ने चित्रशाला बनाई थी उनमें से ही दो कारीगरों को बुलाया ।
यह कारीगर आप इसलिये राजाने उन कारीगरोंको बुलाके हुक्म किया कि तुम दोनो जनें मिलके उस राज्य में है इससे भी सुंदर ऐसी चित्रशाला छः महीना में बनाओ और उसके लिये तुम्हें जो चाहिए वह मिलेगा । कारीगर काममें लग गए । छः सहीना पूरे हुए । इसलिये राजाने उन दोनों कारीगरोंको बुलाया और पूछा कि तुम दोनोंका काम पूरा हुआ ?
एक कारीगरने कहा कि मैंने तो मेरा भाग वरावर चित्रमय बना दिया है ।
दूसरे कारीगर ने कहा कि महाराज ! मैंनें तो अभी तक पींछी भी हाथमें नहीं लो ।
राजाने कहाकि तो फिर तुमने अभीतक किया क्या ?
उसने कहा कि मैंने तो अभी तक सिर्फ सफाई का ही काम किया है । वह शब्द से कहकर तुमको समझाया जासके ऐसा नहीं है । आप वहां देखने के लिये पधारो इससे आपको ख्याल आ जायगा । राजा अपने परिवार सहित नई चित्रशाला देखने के लिये गया ।
राजा देखता है तो पूरी चित्रशाला को चित्रमय देखकर के राजा खुश हो गया ।
जिस कारीगरने यह कथा कि- मैंने अभी तक पौंछी