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________________ .३४० प्रवचनसार कर्णिका - - - तिलक देखके सुभद्रा की सास शंकाशील बन गई। फिर.. तो घर के सभी मनुष्य सुभद्रा पर जुल्म गुजारने लगे ! सुभद्रा समताभावले सहन करती थी। इतने में तो अवनबी ( आश्चर्यजनक) घटना बन गई। चंपापुरी के चारों दरवाजा बन्द हो गये। मनुष्य अन्दर के अन्दर और बाहर के बाहर रह गये। इतने में आकाशवाणी हुई कि जो सती होगी वह सूतके तांतण से चालनी को बांधके कुबासें से पानी निकाल के नगर के दरवाजे को छांटेगें तो नगर के दरवाजे खुलेंगे। अपने को सती स्त्री कहलानेवाली अनेक स्त्रियोंने इस तरह करने का प्रयत्न किया । लेकिन सभी. की. फजेती हुई । फिर किसीकी भी हिंमत नहीं चली। आखिर में सुभद्राने अपने पति और साससे आज्ञा मांगी। घरके मनुग्यतो इले कलंकित ही मानते थे। इतने में तो मानो दैवी आज्ञा हुई हो इस तरहले. सुभद्रा घरले निकल पडी। नवकारमंत्र का स्मरण करते करते उसने देववाणी के अनुसार कुवामें से जल निकाला । दरवाजा के ऊपर वह पानी छांटते ही तीन दरवाजे खुल गये। लोगोंने धन्यवाद दिया । जय जयकार किया। चौथा दरवाजा इसने जानबूझ के वन्ध रक्खा। शायद कोई कहे कि मैं नगरमें हाजिर नहीं थी । हाजिर होती तो से दरवाजा खोल देती । पसा अहंकार किसीको न रहे इसलिये चौथा दरवाजा नहीं खुला। - सुभद्रा का चमत्कार देखके पति, सास, वगैरह
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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