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________________ __व्याख्यान-सत्रहवाँ १.८५ की पूजा करने के हेतु से घी दूध के छींटा सांप की पूछ पर करने लगे। घी ले आकर्षित वन के इकट्ठी हुई कौडियों · ने सर्प के शरीर को चलनी जैसा वना दिया। ... असह्य वेदना होने पर भी विषधर अकुलाया नहीं। काया को स्थिर रक्खी। शुभभाव. से मृत्यु पाके देवलोक गया । विचारों कि सर्प को तिर्यच गति में से देवघति में ले जाने का काम किलने किया ? किसके प्रभाव से हुआ? हृदयभावना में पलटा कौन लाया ? भगवान महावीर। ... शरीर में से निकलते पुद्गल प्रवाह को केच करने से फोटो प्रिन्ट होता है। केमरा के यन्त्र द्वारा निकलते शरीरवर्गणा के पुदगल केचप होते हैं । इस लिये फोटो खिंच जाता है। भगवान श्री महावीर देवमोक्ष में गये वह दिन दिवाली का है। भगवान महावीर देवने अंतिम सोलह प्रहर तक अखंड देशना दी। अपना मोक्षकाल नजदीक में जानके अपने प्रथम गणधर श्री गौतसस्वामी को देव शर्मा नामक ब्राह्मण को प्रतिबोध करने भेजते हैं। .. गौतम स्वामी प्रतिवोध करके आ रहे थे तब मार्ग में देवोंकी दौडादौड़ हो रही थी। तव मार्गमें व्याकुल चित्त वाले देवोंको देखकर गौतम स्वामी उनले पूछने लगे कि आज तुम व्याकुल क्यों दिखाते हो? इतनी दौड़धाम किस लिये? .:. विपादमरन चेहरावाले देव कहने लगे कि भगवन् ! तुम्हारे और हमारे आधार भगवान महावीर देव आपको और हमको छोड़के मोक्षमें चले गए। .. ... ..
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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