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________________ आराधना के निमित्त अष्टान्हि का महोत्सव, अष्टोतरी स्नात्र समेत, .. पार्श्वनाथ पूजन आदि के कार्यक्रम से उजवने का निर्णय किया । महोत्सवदर्शक आमन्त्रण पत्रिका देश विदेश में रवाना हुई। संख्याबन्द भाविक भक्त आने लगे। वंशाख सुदी ११ के सुवह कुम्भस्थापन, दीपकस्थापन, जवारारोपण भारे उमंग से हुआ । दोपहर को बड़ी पूजा पढाई गई । . . वैशाख वदी १२ आज आचार्य श्री को तथा मुनि श्री जिनचन्द्र विजयजी महाराज को २१ दिन की आराधना का पारणा होने से यहां के मेनेजर श्रीयुत भगवतीलाल जी ने अपने गृहांगण में पगला करा के सब ने गुरुपूजम ज्ञानपूजन आदि का लाभ लिया। इस के बाद शान्ति से पारणा हुआ । मुनि श्री जिनचन्द्र विजयजी ने की हुई पार्श्वनाथ भगवान की आराधना को मंगल समाप्ति निमित्त धोलका निवासी श्रीयुत मनुभाई वेलाणी की तरफ से पार्श्वनाथ पूजन रक्खी गई थी। - पूजन की उछामणी में सैकड़ो मन की उपज हुई थी। १२॥ वजे पूजन का प्रारंभ हुआ। यह पूजन भारत भरमें तीसरी बार होने से देखने के लिये सैकड़ों भाविक आ गये थे। पूजन देखने वाले सब मुक्त कंठ से प्रशंसा करते थे कि एसा प्रभावशाली पूजन कहीं भी नहीं देखा था । यहां के जिनालय में. यक्ष यक्षिणी का अभाव होने से उन्हें पधराने का निर्णय होते ही उसके अनुसार वैशाख वदी १४ सुवह गौमुख यक्ष चक्रेश्वरी देवी की प्रतिमा को अभिषेक पूर्वक संवर्धन किया था । . वैशाख वदी अमावस सुबह ४ देवी देवताओं का अभिषेक हुआ था। जेठ सुदी १ दोपहर को नवग्रह दश दिकूपाल तथा अष्टमंगल - . पूजन शुद्ध विधि विधान मुजब हुआ था।
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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