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प्रवचनसार कर्णिका
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पचाया नहीं जा सकता है। हक की मारामारी छोड़ दो। .. पुण्य में होगा तो मिल जायगा। पुण्य ऊपर श्रद्धा रखो। धर्मी के घर में धन के अथवा स्वार्थ के झगड़े नहीं होते? वहां तो आत्म कल्याण के झगड़े होते हैं। तुम्हारे घर में . किसके झगड़े हैं?
सच्चे सुख का प्रश्न अनादि काल से पूछा जा रहा है ओर आगे भी पूछा जानेवाला है। तुम लच्चे सुखके "हिस्सेदार बनो यही शुभेच्छा ।