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________________ - - - व्याख्यान-तेरहवाँ . जगत के महान उपकारी भगवान श्री महावीर देव 'फरमाते हैं कि जो मनुष्य आंख, कान नाक और वाणी का दुरुपयोग करता है वह एकेन्द्रिय में जाकर के उत्पन्न होता है। उसकी द्रष्टि को धन्यवाद कि जो निरंतर देवाधिदेव श्री जिनेश्वर परमात्मा की मूर्ति के दर्शन करता है। ... दश वैकालिक सूत्र में लिखा है कि जिस मकान में स्त्री का फोटो लगा हो उस मकान में साधु नहीं रह सकता है। क्यों कि उसके दृश्य से उसे विकार उत्पन्न हो सकता है। किसी को शंका होगी कि क्या जड.वस्तु विकार कर शकती है? उसको समझाना चाहिये कि कर्म जड़ होने पर भी जीवों को संसार में रखडाते हैं । तुम्हारे किसी सगे सम्वन्धी का फोटो तुम्हारे पास में हो तो तुम कितने आनन्द मग्न बन जाते हो ... मृत्यु को प्राप्त हुये का फोटा देखकर उस व्यक्ति के गुणोंकी स्मृति द्वारा कितने रोते हो ? एसा अनुभव तुमको अनेक बार हुआ होगा । लामने सन्त महात्मा का .. फोटो हो तो वैराग्य उत्पन्न होता है । छहे गुणस्थानक वर्ती जीवों तक को वीतराग देवके दर्शन करना चाहिये। क्यों कि वहां तक आलंबन की आवश्यकता है ।... और सातवें गुणठाणा से आलंबन की आवश्यकता नहीं है।
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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