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लेखनकाल–१८ वी शती। प्रति-पत्र २ । पंक्ति २७ । अक्षर २० । साइज ४x७।
(अभय जैन ग्रन्थालय)
(७) रागमाला | पद्य ८६ । आदि
रसनिधि गुननिधि रूपनिधि राग रंग निधि श्याम । श्री नट नारायण प्रगट, ताकी करूं प्रणाम ।। १ ॥ गुण निधि गंगादास, हरिजन साह कल्याण सुव । हरिजस केलि निवास, रागमाला ता हित गुही ॥ ५॥
अन्त
मधु माधुवा मिलि गोर तनु, धूमल हार श्रृंगार ।
भस्म पुण्ड अति अरुन तनु सवु भूपण उदार ॥ ८६ ॥ प्रति-पत्र २ । लक्ष्मीप्रभु लिखित ।
(श्री सीताराम शर्मा, राजगढ़)
(८) राग मंजरी-। शाकद्वीपी भूधर मिश्र । सं० १७३० माघ वदि ९ । आदि
स्याम घन-स्याम सुख आनन्द को धाम, जाको, राधावर नाम काम मोहन बखानिऐ । मन अभिराम मुरली को सुर ग्राम धरें, याम याम यम यम ध्यान उर आनिऐ । लसे वनमाला दाम वाम प्यारी गोपीवाम, मुनि गायें जाको साम काम रूप जानिऐ । भूधर नेवाज्यो राम वस्यो आए नन्द ग्राम, तिहू लोक ऐक धाम साची जिअ मानिऐ॥ १ ॥
दोहा
रंध्र राम मुनि चन्द्रमा, नोमी माघ की स्याम । दछिन गढ़ नाटेरि लगु, उपज्यो मन यह काम ॥ २ ॥ सूवा नाम विहार है, गद मुगेरि निज धाम । आजम साह पयान में, देख्यो दन्तिन प्राम ॥ ३ ॥ साकं द्वीपी भूमिसुर, मिश्र भार्गव राम । ता सुत भूधर यहो कही, राग मंजरी नाम ।। ४ ।।