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अन्त
छटांक खस-खस, सबा तोले खल सुस, साढ़े सात मासे वंस लोचन, पांच मासे गऊ रोचन, पांच मासे सुहागा, चार मासे नर कचुर, चार मासे नौसादर, चार मासे शहद स्वसपी बारीक सवकु पीस मिलाय सहद मिलाय पीस गोली चण प्रमाण की करे । मसाण की दवा पानी में घाल प्यावे। .
लेखनकाल–१९११ के आसपास । प्रति-पत्र ६९ । पंक्ति १९ । अक्षर १९ । साइज ६॥४८॥ विशेष-इसमें मंत्र जंत्र तंत्र वैद्यक का समावेश है।
(अभय जैन ग्रन्थालय) (१७) इन्द्रजाल-- आदि
कौतिक या संसार के, वरणि जाय नहि एक ।
जितने सुने न देखिये देखे सुने अनेक ॥ प्रति-गुटकाकार।
( यति रिद्धिकरणजी भंडार, चूरू) (१८) योग प्रदीपिका (स्वरोदय) । पद्य ६९० । जयतराम । सं० १७९४ आश्विन शुक्ला १०॥ अन्त
संवत सतरा से असी अधिक चतुर्दश जान ।
आश्विन सुदी दशमी विजै, पूरण ग्रन्थ समान ॥९०॥ लेखनकाल–सं० १९४४ फागुण सुदी १३। फलोदी । प्रति-पत्र २८ ।
(श्रीचन्दजी गधैया संग्रह, सरदार शहर) (१९) रमल प्रश्नआदि
अथ रमल प्रश्नसाधु चंद्रमा उगै तिण दिन थी दिन गिणीजै शुभ दिने रमल का जायचा देखणा १६ ही घर में देखिये लहीयान किसै घर किसी पड़ी है उस घर से विचार होय तैसी