________________
64 ]
12. सातवाहन :
इनका उल्लेख हेमचन्द्र ने 3-41, 5-11,6-15,18,19, 112, 125 में किया है। उल्लेख के आधार पर इन्हें "गाहा सतसई" का सकलनकर्ता "हाल मातवाहन" कहा जा सकता है हेमचन्द्र सात बार इनका उरलेप करते हैं वे यह दिवाना चाहते हैं कि हाल ने (वहा चचित) शब्दो का श्रयं उनसे अलग हट कर लगाते हुए अपने सग्रह अन्य (गाहासतसई) में प्रयोग किया है। परन्तु जिन शब्दो के सदर्भ मे हेमचन्द्र सातवाहन की चर्चा करते हैं वे शब्द "गाहासतमई" मे कही नही मिलते । हो सकता है ये कोई अन्य सातवाहन हो।
ऊपर गिनाये गये विद्वानो मे अभिमान चिह्न, देवराज, पादलिप्त और सातवाहन "गाहासतमई" के कवि के रूप में भी प्राप्त होते हैं । इन विद्वान कवियो के अतिरिक्त हेमचन्द्र ने कुछ प्रसिद्ध ग्रन्यकारो का उल्लेग भी स्पष्ट रूप में किया है । इनमे कालापा (1-6), भरत (8-72) भामह (8-39) श्रीर विना नामोल्लेख किये हलायुध से मी (1-5 और 2-8) मे उद्धरण दिया है । विद्वानो के नामोल्लेख के अतिरिक्त हेमचन्द्र ने इस ग्रन्य मे कई ग्रन्यो का भी उल्लेग किया है। इनमे कुछ "देशीकोश" उल्लेखनीय है । जैसे सारतरदेशी, अभिमानचिह्न सूत्रपाठ; 'देशीप्रकाश' देशीमार (इमका उल्लेख क्रमदीश्वरी ने अपने 'सक्षिप्तसार' नामक ग्रंथ मे 8वें अध्याय के पृष्ठ 47 पर भी किया है) इत्यादि ।
विद्वानो और ग्रन्थो का नामोल्लेग्व करने के अतिरिक्त हेमचन्द्र ने अनेकों विद्वानो का मत विना नाम लिये ही उद्धृत किया है। उनका विवरण इस प्रकार हैअन्ये (1-3, 20, 22, 35, 47, 52, 62, 63, 65, 66, 70, 72, 75,
78, 87, 89, 99, 100, 102, 107, 112, 151, 160 और
163, 2-11, 12, 18, 24, 26, 29, 36, 45, 47, 50, 51, 66, 67,
77,79, 89 और 98, 3-3, 6, 8, 28, 40, 41, 58 तथा 59, 4-3, 4, 5, 6, 7, 18, 22, 23, 26, 33 तथा 44 पीर 47, 5-~9, 30, 33, 36, 40, 45, 50 तथा 61,
1. चेवर द्वारा सम्मादित । 2 लाला दीक्षित ने अपनी मृच्छकटिक की टीका में इसका उद्धरण दिया है।