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________________ [ 63 वही उदूखल होगे जिनका उल्लेख अभिमान चिह्न द्वारा लिखे गये कोश के व्याख्याकार के रूप में किया जा चुका है। 8. पादलिप्ताचार्य प्राचार्य हेमचन्द्र ने इनका एक स्थान (1-2) पर नामोल्लेख मात्र किया है। इनके मत का उल्लेख पूरे ग्रन्य मे कही भी नही हुआ है । हेमचन्द्र (1-2) मे इतना ही बताते हैं कि इन्होने एक देशीकोश की रचना की थी। ऐसा लगता है जैसे इनकी और हेमचन्द्र की मान्यता एक ही थी। हेमचन्द्र ने अवश्य ही इनके ग्रन्थ से प्रेरणा ली होगी । कोई मतविरोध न होने के कारण ही इनका कही उल्लेख नही किया होगा। 9 राहुलक . ___ इनका उल्लेख केवल एक स्थान (4-4) पर हुअा है। इन्होने किसी देशी कोश की रचना की थी या नही यह स्पष्ट नही। इनका नामोल्लेख भी सीधे नही हुया है। वहा "टोल" शब्द के अर्थ पर विवाद है। अन्य लोगो के द्वारा दिये गये अर्थ को न स्वीकार कर हेमचन्द्र ने "राहलक" के अर्थ को स्वीकार किया है। यह स्थल द्रष्टव्य है -"टोलो शलभ । टोलो पिशाच इत्यन्ये । यदाह ।। टोल पिशाचमाहु सर्वे शलम तु राहुलक । . . . . . ." ॥414, पृ० 158 10 शाम्ब इनका भी उल्लेख हेमचन्द्र ने केवल एक ही स्थान (2-48) पर किया है । यहा "कोमुई" शब्द पर विवाद उठ खडे होने पर वे शाम्ब का मत उद्धृत करते हैं। "को मुई सर्वापूर्णिमा । शरद्य व पौर्णमासी कौमुदी रूढा । इह तु या काचिपूर्णिमा सा कोमुई। अतएव च देसी । यदाह ।। कोमुईमाह च शाम्बो या काचित्पोर्णमासी स्यात् ॥ 2/48, पृ० 101 "कौमुई" शब्द को "तद्भव" न मानकर "देशज" मानते हुए हेमचन्द्र शाम्ब का उल्लेख करते हैं। इससे लगता है शाम्ब ने किसी कोण की रचना अवश्य की होगी परन्तु उसके बारे मे अन्य कोई भी उल्लेख नहीं मिलता। 11. शीलाडक : इन्होने भी देशीकोश को रचना की थी। पर इनसे सबधित विशेष उल्लेख कही नही मिलता। हेमचन्द्र ने इनका उल्लेख तीन जगहो (2-20, 6-96) तथा (7-40) पर किया है। 2-20 मे "कडभुया" शब्द मे हेमचन्द्र उनसे मतभेद प्रकट करते हैं 6-96 और 8-40 शब्दो के रूप पर अपना मत भेद प्रदर्शित करते हैं ।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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