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________________ ___52 ] अष्टम वर्ग की 72 गाथा के 'यदाह भरत '-वाक्य के बाद के पृष्ठ गायव हैं। पिशेल ने इस प्रति को अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना है । परन्तु यह उन्हे 'देणीनाममाला' के प्रथम सस्करण के प्रकाशन के बाद प्राप्त हुई थी। पिशेल द्वारा उल्लिसित ये मभी मूलप्रतिया जैन लिपि में लिखी गयी हैं । इसलिये उन्हें च, व, व, त्य और च्छ, थ और घ ठम तथा ज्झ, ६, द, ढ, ट्ठ, ढ़ आदि जहा भी आये हैं, इन्हे शुद्ध शुद्ध पढने मे बहुत अधिक कठिनाई का मामना करना पड़ा है। पिशेल द्वारा उल्लिसित उपर्युक्त मूल प्रतियो के अतिरिक्त 'देशीनाममाला' के द्वितीय सस्करण की भूमिका मे प्रवस्तु वेट्वटरामानुजस्वामी ने 'सात' और प्रतियो का उल्लेख किया है। ये प्रतिया उन्हे पोरिएन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट पूना के अधिकारियो से मिली थी । इनमे एक 'देशीनाममाला' के शब्दो की वर्णक्रम मे बनायी गयी सूची थी। इसमे पहले दो अक्षर वाले और फिर तीन अक्षरो वाले और फिर इसी तरह क्रम से 8 अक्षरो (केवल 4 शब्द) तक के शब्द उमी क्रम से सकलित हैं जिस क्रम से मूल पाठ मे उनका उल्लेख हया है । इसका प्रारम्भ इस प्रकार होता है 116011 श्री वीतरागायनम । अर्ह ॥ श्री हेमचन्द्र सूर्युक्त देश्य शब्द समुच्चयात् । अकाराद्यादय शव्दा लिख्यते द्विस्वरादिका ||| श्रीदीदूदेदनुस्वाराद्य यत्रस्यादियोगत शब्दनामक्षराधिक्यमपिकपत्वयादिह ।।2।। अथ द्विस्वरा । अज्जो जिन । गौरीति प्रा .... • ... इसके अन्त मे श्रीहेमसूरेरभिधानकोशाद्दे श्यात्पदान्यर्थ समन्वितानि । उद्धृत्य वर्णक्रमतोऽखिलानि लिलेप सूरिविमलाभिधान ।।।।। वाव जाड्यतमश्छन्नान् ग्रन्थान्तर गृहस्थितान् । अनेन देश्य दीपेन पश्यत्वर्थान् जना स्फुटान् ।।2।। ग्रन्याग्र 1200 ।। इस सूची मे केवल 18 पृष्ठ हैं । सख्या 857 तथा समय 1886-92 हैं । प्राप्त मूल प्रति अधिक प्राचीन न होने के कारण विश्वसनीय एव उपयोगी नही है । दूसरी प्रतिया (सख्या 724, 1875-76 और सख्या 281, 1880-81) लगभग प्रथम संस्करण के प्रकाशन मे पिशेल द्वारा प्रयुक्त वी (B) ई (E) प्रतियो के समान ही हैं। एक तीसरी प्रति (सख्या 159, 1881-82) प्रथम सकरण तथा डा० बुल्हर द्वारा प्रयुक्त सी (C) प्रति का मूल रूप मात्र है। इन चार प्रतियो के अतिरिक्त प्रवस्तु रामानुजस्वामी ने क्रमश एक्स (x) वाई (५) और जेड (2) इन तीन अन्य प्रतियो का भी उल्लेख किया है उनका विवरण इस प्रकार है -
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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