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________________ 50 ] पालोचनात्मक टिप्पणियो तथा शब्दकोश के साथ प्रकाशित हुआ ।' डा० बुल्हर और पार. पिशेल के सम्मिलित सहयोग से प्रकाशित 'देणीनाममाला' के प्रथम सस्करण के तैयार करने में निम्नलिखित मूल प्रति गो की महायता ली गयी है। इनका उल्लेख प्रार. पिशेल ने स्वय ही अन्य के भूमिका भाग मे कर दिया है। (1) ए (A) हस्तलिखित प्रति-यह मूल प्रति बीकानेर मे प्राप्त हुई थी। इसकी सख्या 271 है । केवल 17 पृष्ठ हैं । इसका समय सोमवत् 1549 उल्लिखित है । इसमे केवल मूलपाठ है और उपयोगिता की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रति कही जा सकती है। (2) बी (B) हस्तलिखित प्रति-इस प्रति पर 724 सख्या दी हुई है। यह सुस्पष्ट अक्षरो मे लिखी गयी है और 'वाढवान' (Vadhavan) नामक स्थान से प्राप्त हुई है। इसमे कुल पृष्ठ संख्या 90 दी गयी है । परन्तु 53 के दो बार लिखे होने से इसकी सही पृष्ठ सख्या 91 हो जाती है । इसमे मूल पाठ के साथ ही टीका भाग भी है । परी प्रति मे तिथि का कोई निर्देश नहीं है। कुल मिलाकर यह अत्यन्त शुद्ध होते हुए भी 'च' और 'व', 'थ' और 'घ' 'ज्झ' और 'म', 'च्छ' पीर त्य, द, ध, ठ, ट्ठ, ड्ढ मे लगातार परिवर्तन होते रहने के कारण अधिक विश्वास योग्य नही है । (3) सी (C) प्रति-इसकी एक नवीन प्रति डा बुल्हर के लिए अहमदाबाद मे तैयारी की गयी थी। डा० बुल्हर ने इसी के आधार पर इण्डियन एण्टिक्विरी भाग-2, पृष्ठ 17 पर प्रथम वार इस ग्रन्थ का परिचय दिया था। इस पर लिखी गयी सख्या 184 है । ग्रन्थाकार (पोथी के समान) 315 पृष्ठ है ।। - इसमे टीका और मूलपाठ दोनो ही है । इसका समय सख्या 1857 है । यह यद्यपि बहुत सावधानी से तैयार की गयी है फिर भी ऐसा लगता है जैसे प्रतिलिपिकार जैन पाण्डुलिपि पढने का अभ्यस्त न हो क्योकि जैन लिपि मे लिखे गये वर्ण प्राय गलत पढे गये हैं । किसी दूसरे व्यक्ति ने यद्यपि इन भूलो के सुधारने की कोशिश की है परन्तु वह कुछ ही भूलो को सुधारने में सफल हो सका है। आर0 पिशेल के प्रथम संस्करण में निहित असावधानियो और भूलप्रतियो की जैनलिपि को गलत पढ जाने के कारण उत्पन्न हुई कमियो को ध्यान में रखते हुए कलकत्ता के डा0 मुरलीघर वनों ने 1931 में 'देशीनाममाला' का अपने सपादकत्व मे प्रकाशन कराया। डा0 बनर्जी का यह संस्करण पिशेल के सस्करण से कही अधिक परिशोधित एन परिमार्जित है। इसका प्रकाशन कलकत्ता युनिवसिटी प्रस से हुआ था ।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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