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________________ 44 ] देशीनाममाला-नामकरण की समस्याः देशीनाममाला के स्वरूप एव उसकी विपय-वस्तु का विवेचन प्रस्तुत करने के पहले इसके नामकरण की समस्या सुलझा लेना समीचीन होगा । जहा तक प्राचार्य हेमचन्द्र का सम्बन्ध है उन्होंने इस ग्रन्थ के दो नाम दिये है- (1) देसीसहसगहो (देमी शब्द सग्रह) (2) रयणावली (रत्नावली) । प्रस्तुत कोश के प्रथम मर्ग की दूसरी ही कारिका मे प्राचार्य कहते हैरणीसेनदेमिपरिमल पल्लवि अकुऊहलाउलत्तण । विग्इज्जइ देसीसदृसगहो वण्णकमसुहयो । --देना० 11 21 पृ० 2 इन कारिका मे वे ग्रन्य का नाम "देसी सद्दसगहो" लिखते हैं । इसी प्रकार ग्रन्थ की ममाप्ति के ममय अन्तिम कारिका से दोनो ही नामो का उल्लेख मिलता है इन रयणावलिणामो देसी सद्दारण सगहो एसो । परन्तु इन दो नामो के अतिरिक्त प्रत्येक अध्याय की समाप्ति के बाद लिखी गयी पुटिनकायों में "देशीनाममाला" नाम भी मिलता है । प्रथमवर्ग की पुष्पिका को छोडकर लगभग सभी पुप्पिकाए एक समान है। इस वर्ग की पुष्पिका मे "स्वोपज्ञ' शब्द अधिक जुड़ गया है __ "त्याचार्य श्री हेमचन्द्र विरचिताया स्वोपन देशीनाममालाया प्रथमोवर्ग ।" अन्य वर्गों की समाप्ति पर दी गयी पुप्पिकाए इस प्रकार हैं न्याचार्य श्री हेमचन्द्र विरचिताया देशीनाममालाया .... वर्ग ।" प्रन्नु । हम देखते है कि इस ग्रन्थ के तीनो ही नामो का उल्लेस ग्रन्थ के अन्तर्गत ही हना है । परन्तु प्रश्न यह उठना है कि एक ही ग्रन्य के तीन नाम क्यो दिये गये ? क्या ये तीनो नाम सार्थक हैं ? इन प्रश्नो का उत्तर अत्यन्त सरल होते हए भी कुछ गुन्थियो गे भग हुआ है । जहा तक 'देशीशब्दसग्रह" नाम का प्रश्न है, यह निर्विवाद प से या उचित नामकरण है। "ग्यगावली" नाम भी गन्थ में निबद्ध कारिकानो की माता एवं उदाहरण के रूप में प्रायी हुई अार्यानो के माहित्यिक मौन्दर्य को देखते हा, लाक्षणिक होते हुए भी सर्वथा उपयुक्त है । परन्तु पुष्पिकानो मे पाया प्रा "देशीनाममाला" नाम मर्वया भ्रामय है । प्रथम तो यह स्वय प्राचार्य द्वारा दिया गया नाम नहीं है क्योंकि ग्रन्यो पो पुष्पिकाए प्रतिलिपिकारो द्वारा लिखी होने 1. 1938 मारे गम्यत मांगेर में प्रपाणिन सपा आर पिणेल द्वारा प्रमाणित 'दंगीनाम गदिनीय माता
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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