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फत्त त्ववाचक प्रत्ययआण- प्रोडण-उत्तरीयम, पोहरण-विनिपातनम्, कुद्दणो-रासक कूसरण-खट्टा,
कुनफमरणो-कुल कलक । हार-हारी-हर-हरी
बउहारी, बोहारी-झाड़, बोहहरो-मागध.
अंतहरी-दागी। नागा- अग्धागो तृप्न. ।
यगनिज-अनवननम् । चुज-मानर्यम् ।
वालप्प-पुच्छ, विडप्पो-राहु , झोडप्पो-चना, टिप्पी-तिलक । नम्बधार्थक प्रत्यय
पारी-प्रार/कार-पेपणयारी-दूनी
प्राग्राली-मिश्रीभावः, ग्रावाल-जननिकटम्, कटुनालो-लघुमत्स्य : ई-का-कमणी-जमणी (गीढी) कु तली एक प्याला । खदाकी विटविकका-खिडकी, गाणी गणिका-गायिका ।
गागणी ग्रामगी-प्रामाधिपति । पणी-देली प्रत्यय
गामेणी गाम : एगी-छागी
वती, गती-दुम्बवती-नदी, कुक्सिमईकुक्षिमती-गभिरणी । म्नी प्रत्ययग्रा
अडयणा, अडया असती, कायपिउच्छा-कोकिला, कलिया-सखी, कीला
नववधू, कुकुला-नववधू, नागेज्जा-नवपरिणीता, चिरचिरा-जलधारा । अाया- गड्ढ-शैया ।
कल्होडी-बछिया, कुट्टयरी-चण्डी, खडई-असती, गाणी-गायिका,गोवी
बाला, भीरा-नज्जा, गदा-गाय । गो
गदीणी-चक्षु,स्थगनक्रीडा, रणदिणी-गाय, पीसगी-सीढी, दुद्धिणी
दुधहँडी, पच्चुच्युहणी नवसुरा । रु चरणी-आटे की चक्की। एणी-गामेणी-छागी (हिन्दी मे दहँडी) । इग्रा/इका- उत्तरणवरडिया-नौका, गणणाइना-चण्डी, घुणघुणिमा-कर्णोप