________________
[ 243 प्रारम्भवती 'द' - दय-जलम् (5-33), दर - प्रर्धम् (5-33), दसू-शोफ'
(5-34)1 बारम्भवर्ती 'द' में प्रतिनिहित हैप्रा भा. प्रा -ह-दुग्घटो हस्ती/द्वि-+-धुट (5-44), दोग-युग्मम्द्विक
(4.49), दूगो-हस्ती। द्विपान (5-4471 मा भा या - द्र- दुहोली-दृष्टपक्ति । दोली (5-43) । मध्यवर्ती स्थिति में 'द' और 'द' म भा पा के ही अनुकरण हैं~६- पारदर-अनेकान्तम् (1-78), पाहु दुरो-पुच्छ (1-66),
कदल-कपालम् (2-4)। -~ - अहमो-याकुल (1-15), प्रवद्द स-उलखलादि (1-30),
उद्दामो-सधात (1-126) । मध्यवर्ती 'द' मे प्रतिनिहित हैप्रा मा पा - (+द-उद्दरिय उत् दारितम् (1-100), उद्दिसिग्न-उत्प्रेक्षितम्
उत+दिश (1-109), तद्दिग्रस - अनुदिवसातदिवसम् (5-8)। प्रा भा श्रा-ई- कमिग्रो-मपि ।कर्दमित. (2-15), गद्दन्भो-कटुघ्वनि गार्दम्य
(2.82)। पा भा प्रा -'द'-गज्जणमहो-मृगवारणध्वनिः । गर्जनशब्दः (2-88), सद्दाल
नूपुरम् । शब्दाल (8-10) । प्रा भा. प्रा --धूमदार-गदाक्षी धूमद्वारम् (5-61) । मा भा प्राद'-समुद्रावरणीय-अमृत । समुद्रनवनीतम् (8-50),
समुद्दहर-गानीयगृह समुद्रगृहम् (8-21) । उपान्त गे 'द' और 'द' के प्रयोग के उदाहरण इस प्रकार हैं-~~- कदी मूलशाकम् (2-1), फदो-दृढ (2-51), फलयदी-पाटला-(2-58)
- - उद्द-जलमानुपम् (1-123), कुद्द -प्रभूतम् (2-34), गज्जपसहो-मृगपारराध्वनि. (2-88) ।
___ यह दन्त्य, नाद, घोप, महाप्राण, निरनुनासिक स्पर्श ध्वनि है । देशीजाममाला मे '' से प्रारम्भ होने वाले कुल 39 शब्द हैं । इनमे केवल दो ही शब्दो,
1
दे ना मा 7/80 में 'वोद्रहो' (तरुण ) शब्द नाया है। इस शब्द फा मध्यवर्ती 'ग' प्रा मा आ के अनुरूप है अत इस माद को तत्सम फहा जाना चाहिए । म भा. आ द्रा ही सर्वन मिलता है।