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________________ [ 223 प्राइमा पत्तपसाइग्रा-पूलिंद के सिर पर रखा हुआ पत्ते का होना (6-2)। प्राईग्रो -- छाईप्रो-देवी-भाग (2-26) : प्राउप्र - पाउप्र-हिमम् (6-38) । भाउमा - माउप्रा-सखी (6-147) । इग्रयो - आसिप्रो-लोहमय. (1-67), खिलुत्तहिरो भ्रान्तः (7.63) उप -उपग्र-ऋजु (1-88)। उइया - एअरुइग्ना-उत्कठा (6-8)। उइग्रो-उण्णुइग्रो-हकार, (1-132} 1 उउयो - कुउपा-तुम्वीपात्रम् (2-12)। ऊप्रयो - जूअनो-चातक' (3-47) । एइ - विभेइन -सूच्याविद्धम् (7-67) । एइग्रा - पावरेइया-करिका (1-71)। प्रोग्रयो -तोअग्रो-चातक (5-18) प्रोग्रयो - प्रोग्रामो-ग्रामाधीश. (1-166), पोमाओ-मामप्रधान (6-60) श्रोइन - पहोइन-पर्याप्तम् (6-26) । श्रोइया -~- पोइशा-निद्राकरीलता (6-63)। श्रोडओ - छोडो-दास (3-33), पोइनो-हलवाई (6-61) जोयो जुगुनू (3-50)। श्रीउप्रो - पोउपा-करीषारिन (661) : चार स्वरो के एकत्र संयोग अएइमा -- उवएइअा-पद्यपरिवेषणभाण्डम् (1-118) प्रोग्रामो - प्रोपाप्रमो-अस्तसमय (1-162) । प्रोग्रइआ - पोमझा-पोई नामक लता (6-63) । स्वराघात स्वराघात वस्तुतः किसी भाषण प्रक्रिया को अंग होता है। इसका सभ्यता निर्धारण किसी बोली जाने वाली भाषा मे ही किया जा सकता है। देशीनाम. माला की शब्दावली प्रति प्राचीन भाषण प्रक्रिया से सम्बन्धित है। इसका व्यवहार म. भा मा. काल मे प्रायः हुना है । इसका प्राप्त लिखित रूप इतना क्लिष्ट है कि
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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