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________________ 2101 उदाहरणों मे तथा दो अपभ्रंश दोही में 'गृहण्णई' और 'घृण' के प्रयोग के रूप में दिया है। रामतर्कवागीश के अनुसार-सिन्यु देश की वाचड अपभ्र श मे मृत्यादिगण में अन्यत्र 'ऋ' का उच्चारण होता है । इन्ही तथ्यो को ध्यान में रखते हुए पिशेल ने यह स्वीकार किया कि 'ऋ' का उच्चारण 'अपभ्रश प्राकृत मे रह गया है। अधिकाग अपन श वोलियो में सभी प्राकृत प्राचार्यों का नियम है, 'ऋ' नहीं होता । निष्कर्ष रूप में यह कहा जा मकता है कि कुछ प्रादेशिक भाषामो को छोडकर शेप म. भा या मे 'ऋ' की स्थिति नही रही । ग्रामीण वोलियो मे तो इसे निश्चित ही म्यान नहीं मिला। दे. ना मा. की शब्दावली इन्हीं ग्रामीण बोलियों से संबद्ध है, अत में 'ऋ' का सर्वथा अभाव स्वाभाविक ही है। ल का प्रयोग 'ल' स्वर का प्रयोग वैदिक काल से ही विरल रहा है। इसका प्रयोग केवल एक ही बातु 'क्लपि' मे है । ऋग्वेद प्रातिशास्य के अनुसार पद के श्रादि और अन्त मे लकार स्वर्ग मे परिगणित नहीं होता।" पाणिनि ने अपने माहेम्वर सूत्र में 'ल' की गणवा की है ऋल क) परन्तु महाभाप्यकार पतजलि स्वीकार करते हैं कि इसका प्रयोग क्षेत्र स्वरपतर है जो प्रयोग है भी वह मात्र 'वलपि' धातु तक सीमित है 1 यहीं पर वे यह भी बताते हैं कि पाणिनि ने 'लु' का प्रयोग यदृच्छा अशक्तिज अनुकरण और प्लुतादि के लिए ही किया होगा। प्राकृत व्याक्राकारो ने 'लु' का 'इलि' प्रादेश ही स्वीकार किया है। मदीश्वर (5-16) अपभ्रंश मे 'क्लुप्त' का 'कत्त' रूप स्वीकार करते हैं। निवर्प रूप में यह कहा जा सकता है कि प्राकृत तथा अपभ्र श भापायो मे 'ल' स्वर नहीं रहा । इसी के अनुरूप दे ना मा. के शब्दो मे भी लु' का प्रयोग कहीं नहीं मिलता। ऐ-हम्बीकरण की प्रवृत्ति के कारण प्राकृतो में 'ऐ' का उच्चारण 'ए' या 'टु' और 'इ' रूप मे मिलता है। यही स्थिति अपभ्रंण में भी है दे ना. मा. को जब्दावली 'ए' के इमी ह्रस्वीकृत रूप को स्वीकार करती है । 1. व घ्या 8141336 दही-8141350 मृगापरेग र-नाविहत प्रकृत्या (31312) प्रारत मापात्रों का व्याकरण-पिगेल, पृ 96 म प्रा 19 6 नकाम्यापोदांचव प्रयोग विषय । यचापि प्रयोग विषय सोऽपि फ्लू पिस्थस्यैव ।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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