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________________ 198 1 (143) महो- गहीन (सना) दे ना मा. 6-112-हिन्दी में 'मट्ठर मान्द 'मालमी' 'बहानेवाज' व्यक्ति के विशेषण रूप में व्यवहृत होता है । इसे 'मको' शब्द का ही विकसित स्य माना जा सकता है। अर्थ विकास की प्रक्रिया मे इस शब्द के मूल अर्थ मे लामणिकता के कारण विकास हो गया होगा । सीग और पूछ से रहित बैल भी 'हल में न चलने वाला' 'यालमी' 'वहाने वाज' व मट्ठर माना जाता है। आगे चलकर इस प्रकृति के मनुष्य के लिए भी यही शब्द व्यवहृत होने लगा होगा । इस शब्द का मूल स्रोत तमिल है। वहा 'मोटाइ शब्द इसी अर्थ मे मिलता है। हिन्दी का ग्रामीगा वोलियो मे 'मोटाई' शब्द भी अपने परिवर्तित अर्थ (बहाने बाजी मे देखा जा सकता है। हिन्दी का 'मोटा'' विशेषणपद भी इमी से सम्बद्ध किया जा सकता है। (144) मम्मी-मामा-मातुलानी (मना) दे ना. मा 6-1 12~-हिन्दी तथा उसकी बोलियो में 'मामी' 'मामा' शब्द प्रचलित है। 'मम्मी' शब्द 'मामी' के रूप मे उमी अर्थ मे तथा 'मामा' शब्द मामी के पति के अर्थ में परिवर्तित होकर प्रचलित है। 'मम्मी' शब्द भी हिन्दी मे 'मा' के अर्थ में प्रचलित है पन्त इसे अ ग्रेजी के ममी गन्द से सम्बद्ध किया जाता है । वास्तव में यह हिन्दी को अंग्रेजी की देन न होकर प्राकृतो की देन है। (145) माहुर-गाक (माजा)-दे ना. मा 6-13-हिन्दी तथा उसकी बोलियो मे 'माहुर' शब्द 'जहर' के अर्थ मे प्रचलित है । सुखी व्यक्तियों के लिए 'जाकखाना' 'जहर खान के ही नमन होता है । इमी कारण 'शाकवाची' 'माहुर' शब्द 'जहर' वाची बन गया होगा । इसका प्रयोग प्राय 'जहर-माहुर' जैसे मयुक्त पद मे हो होता है। (146) मुई अमती (विशेषण) = ना मा 6-135-ग्रामीण अवधी मे 'मुन्ही' 'मुन्हा' पद क्रमश चरित्रहीन स्त्री-पुत्पो के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं। वैसे इन शब्दो का सम्बन्ध मस्कृत के 'मूल' (अवधी मूर) शब्द से जोडा ना सकता है, परन्तु मूल नक्षत्र में पैदा हुए व्यक्ति का चरित्र-भ्रप्ट होना आवश्यक नहीं है-अत्यन्त स्पष्ट शब्दो मे वह दृष्ट भले ही हो पर लोक जावन में 'टिनाल' शब्द मे विभूपित नहीं होगा। मुई' शब्द सीवे-सीये 'टिनाल' अर्थ देता है । प्रत 'मुग्ही' ग्रोर मुन्हा' दोनो पदों का मम्वन्ध इसी से जोड़ा जाना चाहिए । 1. दिदी मन्दाय पारिजात पू 629 पर 'मोटा' सन्द 'देश्य' माना गया है।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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