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(74) चोट्टी-चूडा-शिखा (सज्ञा) दे ना मा.-3 1-हिन्दी तथा उसकी सभी वोलियो मे 'चोटी' 'चोटइया' 'चुटई' आदि पद शिखा के अर्थ मे व्यवहृत होते हैं । ये सभी उपर्युक्त शब्द के ही विकसित रूप हैं। इन शब्दो को सस्कृत 'चूडा'' से व्युत्पन्न मानना उपयुक्त नहीं है क्योकि सस्कृत मे 'चूडा' शब्द की स्वय की स्थिति ही सदिग्व है । द्रविड कुल की लगभग सभी प्रसिद्ध मापात्रो तमिलकन्नड तथा मलयालम ग्रादि मे इस शब्द की उपस्थिति यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि यह प्रार्य भापा का शब्द नही है। तमिल मे 'चोटी' के लिए 'चुटु' (इसे शुद्ध भी पढा जा सकता है। कन्नड मे सुठ तथा मलयालम मे 'चुटुक' शब्द मिलते हैं । ऐसी स्थिति मे हिन्दी का 'चोटी' शब्द निश्चित रूप से तद्भव न होकर प्रार्यतर भापायो से प्राप्त तथा युग यगो मे व्यवहृत होने वाला 'देश्य' पद है ।
(75) छहल्लो, छलियो-विदग्य दे. ना. मा.-3-24-हिन्दी तथा उसकी सभी वोलियो में प्रचलित 'छैला' तथा 'छलिया' पद इन्ही टोनो शब्दो से विकसित होगे । व. मा सू. कोप में खेला शब्द की व्युत्पत्ति स छवि-+-ऐला (प्रत्यय) से दी गयी है। इसी तरह 'छलिया' शब्द की व्युत्पत्ति सस्कृत छल+इया (प्रत्यय) से दी गयी है । परन्तु ये दोनो ही व्युत्पत्तिया पूर्वाग्रहग्रस्त हैं। इन शब्दो के प्रयोग का वातावरण ही यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि ये दोनो 'देश्य' शब्द हैं ।
(76) छल्ली-स्वक् (सज्ञा) दे ना. मा 3-24-हिन्दी तथा अवघी मे 'छाल' पद इमी से विकसित होगे । व्रजमापा मे तो यह शब्द ज्यो का त्यो 'छल्ली' रूप मे चलता है । 'टल्ली' शब्द सम्कृत में भी है, परन्तु वहा यह निश्चित ही प्राकृत से गया होगा।
(77) छिटोली-लघुजलप्रवाहः (सज्ञा) दे ना मा 3-27-हिन्दी मे प्रचलित 'छिछला' शब्द इमी से विकसत होगा। दोनो का अर्थ भी लगभग एक ही है । लक्षणया इसी शब्द से छिछोर, छिछोड (छल्का, दुप्ट) प्रादि पदो को भी निप्पन्न किया जा सकता है ।
1 य मा मू को ( 528 2 पृ. 263 3. सूद मा को, 1 544
दे ना मा 266 में 'मुन्ना' शब्द चमं के मयं में याया है। हिन्दी तया उसकी बोलियो में प्रचलिद 'माय' (चमडा) पद मी मदद कर विकमितरूप है।