SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ 187 (66) घट्टो-नदीतीर्थम्- (मज्ञापद दे ना. मा 2-111-हिन्दी का 'घाट' गद उनी से विकसित है । सत्कृत मे भी 'घाट' शब्द मिलता है परन्तु वहुत फड नम्भावना है कि यह शब्द मस्त में प्राकृत से प्राया हो । (67) घुघुत्मय - साशकभरिणतम् (सज्ञापद) दे. ना. मा -2-109-हिन्दी में प्रयुक्त दिन्धी' शब्द जने-घिग्घी बध जाना (डर के मारे वोल न पाना) इसी से विकसित माना जा रगाता है। (68) घुघरतो-उत्कारः (राजा) दे ना. मा 2-109-हिन्दी तथा उसकी नभी बीनियों में 'घर' शब्द कूडे का टेर लगाये जाने वाले स्थान के अर्थ मे प्रचलित है। का विशाल स्पष्ट ही 'घु घुरो' पद मे हुया होगा। (69) चग चार (दियोपण) दे ना मा 3.1-हिन्दी, ब्रज तथा अवधी सभी में प्रचलित 'चगा' (अच्छा, भला मुन्दर) शब्द का विकास इसी शब्द से हुप्रा है। (70; चटू दारहत्त. (सज्ञा) दे ना मा 3-1-हिन्दी तथा उसकी प्राय नभी बोलियो मे 'चटू' शब्द ज्यो का त्यो प्रचलित है। यह लकडी का बनता है और करी या करहुल की तरह इसका प्रयोग होता है । प्रवधी मे इसे ही 'दविला' भी कह्ते हैं। (71) चाउला-तण्डुला (सज्ञा) दे ना मा 3-8-हिन्दी मे 'चावल' तथा अवघी मे 'चाउर' शब्द इसी शब्द से विकसित है । (72) चिल्लरी-मशक (सज्ञा) दे ना. मा 3-11-हिन्दी की सभी वोलियो मे कपडे में पढ़ने वाले गन्दे कीडो के लिए 'चीलर' या 'चिल्लर' शब्द का प्रयोग होता है। (73) चिल्लो-वालफ (सज्ञा) दे ना मा 3-10-हिन्दी तथा उसकी मभी वोलियो मे 'चेला' शब्द शिप्य के अर्थ मे प्रयुक्त होता है। इस शब्द का सम्बन्ध 'चिल्लो' शब्द से ही होना चाहिए । सूर व्रजभाषा कोश पृ० 526 पर चेला शब्द को सस्कृत 'चेटक' से व्युत्पन्न माना गया है (स० चेटक 7 प्रा० चेडअ7 चेडा7 चेला) परन्तु यह उपयुक्त नहीं है। बालकवाची 'चिल्लो' शब्द ही 'चेला' पद के मूल मे है, वालको को बचपन मे ही दीक्षा देकर शिष्य बना लिया जाता था । अतः दोनो मे अर्थगत दूरी भी नहीं है। इसके अतिरिक्त पिथोरगढी-कुमायु नी भाषा मे 'चेला' शब्द बालक या लडके का ही वाचक है-जैसे-'चेलो षडाल लडके को सुला । अवघी मे यह शब्द 'चेरा' तथा 'च्याला' आदि रूपो मे प्रचलित है ।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy