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________________ ___186 ] In (60) गोच्छा ~ मजरी (सज्ञापद) दे. ना मा 2-15 - हिन्दी तथा उमकी सभी बोलियो मे 'गुच्छा' शब्द व्यवहृत होता है । सस्कृत मे भी 'गुच्छा' शब्द इसी अर्थ मे मिलता है । अत इस शब्द की स्थिति सदिन्ध है। भारत की प्रार्यतर भापायो मे प्रमुख तमिल मे 'कोत्त' शब्द इसी अर्थ मे आया है। खीच-तान कर इसमे इस शब्द को व्युत्पन्न किया जा सकता है परन्तु इस शब्द को तद्भव ही मानना अधिक उपयुक्त लगता है। . (61) गोलामखी (मनापट) दे ना मा 2-104-राजस्थानी का दासीवाचक 'गोली' शब्द इसी से विकसित होगा। (62) गोवर - करीपम् (सज्ञापद) दे ना मा 2-96 हिन्दी तथा उसकी सभी बोलियो का 'गोवर' पद इसी से विकसित है अन्तर केवल इतना ही है कि हेमचन्द्र ने इसका प्रयोग मूखे हुए गोवर (कडे या उपले) के अर्थ मे किया है जव कि इसका विकसित अर्थ जानवरो द्वारा विजित मल मात्र का वाचक है । (63) गंडोरी-इक्षुखण्डम् (सज्ञापद) दे ना मा 2-82-हिन्दी तथा उसकी सभी बोलियो मे व्यवहृत होने वाले 'गडेली' 'गडेरी' तथा 'गडीरी' पद इसी शब्द के विकसित रूप हैं । इनका अर्थ भी एक ही है। (64) घरघर-जघनस्थवस्त्रभेद. (सज्ञापद) दे. ना मा 2-107-हिन्दी 'घाघरा' अवधी ब्रज 'घघरा' 'घवरी तथा राजस्थानी 'घाघरा' ये सभी पद उपर्युक्त शब्द के ही विकसित रूप हैं । इनमे अर्थगत माम्य तो है ही। इनका व्यन्यात्मक विकास भी व्याकरण सम्मत है। (65) घल्ली-अनुरक्तः (विशेषण पद) दे ना मा 2-105-हिन्दी मे 'घायल' अवधी तथा ब्रजभाषा मे 'घाइल' पद 'मोहित या चोट खाया हया' के अर्थ मे प्रचलित है । ये 'घाली' शब्द के ही विकसित रूप होंगे। तमिन 'कात' सुन्कृत (उच्चारण गोद्द भी) में हिन्दी की वोनियो मे न्यवहृत होने वाले 'घोट' या घोदा' गन्द को मबद्ध किया जा सकता है-जैसे थाम का घोद या वादा (गुच्छा)। 'पल्ली' मन्द में 'घायल' या 'घाइन' पद का विकाम ध्वन्याम्मक दृष्टि में उपयुक्न नहीं है परन्तु ऐसे म्यतों पर एक तय्य को ध्यान में रखना यावश्यक है । देशी शब्दो के ध्वनि विशाम की कोई परम्परा नहीं है। बहुत दिनों तक बोल-चाल में रहने के कारण मांग मनमाने ढग में इनका प्रयोग करते रहे हैं। अत विकास की एक परमारा निश्चित पर पाना सवया पटिन ही नहीं यमम्मव तथा काल्पनिक भी होगा।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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