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बना भाषा नी बात गुज नो मे प्रचलित शब्दावली irgi मोमेंनिए घोटर गोर याय, कुत्ते के लिए कुकुर और श्वान, दिगो लिए जिद पोर मागे, मात्र के लिए भल्लूगा और नाक्ष साथ-साथ पता: । न मदो मी पनि योर अन्यानेक प्रापंप्रयोग यह सिद्ध कर देते हैं कि कि नगी माता जी' तत्वों का प्रगलन हो चला था । उपर्युक्त उदाहरणों में पाया IET, विकास, र नया भन्नक शन गुनिश्चित ध्वन्यात्मक परिवनंगी गाय पानी लोग नापात्रो में प्रगति है । इनके पर्यायवाची नक्षादि सम्मको अपनी गम्मति तब भी थे और प्राज भी ज्यो के त्यो हैं। आगे चलकर लोनापानी नहारे किगित होने वाली पाति तथा प्राकृत (अपभ्रश भी) भारा कि भाषा से अधिक समीप है। इस प्रकार 'देशी' शब्दो का प्रादुर्भाव गामान्य जनता की बोलनान की भापायी से हुया होगा । इनका विकास प्रकृत
चानाविका । गुग मे युग-युगो में होना चला आया है। इस विपय मे नमिसाधु का कचन बल कुन मत्य भी प्रतीत होता है। 'देशी' शब्दो का प्राकृतो से घनिष्ठतम मम्बन्ध प्रतः 'प्रागन' शब्द पर विचार कर लेना अवसर लभ्य एव समीचीन होगा।
1. देगिये-प्राकृत मापानों का व्यापरण-हिंदी अनुवाद, हे0 जो0 फुटनोट, पृ. 65-661 2. गमिगाध-गाव्यालफार 2112 फी टीका