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[ 121 12 वी सदी मे किया है । वे एक अद्भुत अध्ययनशील ऋषि थे । उन्होने इन शब्दो के सकलन मे अवश्य ही निम्न वर्गीय संस्कृतियो से सम्बन्धित ग्रन्थो का अध्ययन किया होगा । ऐसे ग्रन्थ आज उपलब्ध नही हैं। ऐसी स्थिति मे निष्कर्ष रूप में केवल यही कहा जा सकता है कि इन शब्दो मे 12 वी सदी की गुजरात के निवासियो की निम्नवर्गीय सस्कृति के साथ ही उनसे भी प्राचीन काल से प्रचलित एव परम्परा से प्राप्त सस्कृति के अनेको शब्द हैं। पीछे 'पुलिन्द' जाति के उल्लेख के साथ ही यह बताया जा चुका है कि यह जाति उत्तर वैदिक काल से, उल्लेखो मे मिलने लगती है । इसी तरह इससे भी प्राचीन जातियो की सास्कृतिक शब्दावली युग-युगो से जनभापामो मे मिलती रही है जिसका ऐतिहासिक क्रम से कही उल्लेख न प्राप्त होने के कारण कुछ निश्चयपूर्वक कहा भी नहीं जा सकता । ऐसे ही अनेको प्राचीन एव तत्कालीन गुजरात के निम्न वर्गीय रहन-सहन और रीति-रिवाजो से 'देशीनाममाला' के इन शब्दो को सवद्ध किया जा सकता है। इस कोश के शब्दो की बहुत बड़ी मात्रा समाज मे प्रचलित टोने टोटके, तथा विविध क्लिष्ट साधनामो से सबधित हैं। इसके अतिरिक्त अनेको शब्द समाज की उन्मुक्त कामुकता, विविध रत्यादि क्रियानो तथा दुराचारो को व्यक्त करने वाले हैं। इन सभी बातो को देखते हुए इन शब्दो के वातावरण की तुलना यदि अथर्ववेदीय शब्दो के वातावरण से की जाये तो दोनो मे बहुत कुछ समानता मिलती है । सक्षेप मे यह कहा जा सकता है कि ये शब्द बहुत प्राचीन काल से परम्परा मे विकासमान अधिकाशत निम्नवर्गीय संस्कृति के द्योतक है। इस कथन की पुष्टि प्रागे विवेचित धार्मिक शब्दावली से भी हो जायेगी। धार्मिक प्राचार-विचार और देवी-देवता :
'देशीनाममाला' के विशाल शब्द भण्डार के बीच कुछ शब्द धार्मिक रीतिरिवाजो और विभिन्न देवी-देवताओ के वाचक हैं। इस प्रकार के शब्द किसी धर्म या सम्प्रदाय विशेष से सम्बन्धित नहीं है अतः इनके आधार पर किसी विशिष्ट समाज का प्रारूप नही खडा किया जा सकता । कही शैव धर्म के वाचक शब्द है तो कही जैन धर्म के । इसी प्रकार कही शाक्त देविया हैं, तो कही पुराणो मे अत्यन्त प्रसिद्ध विष्णु, ब्रह्मा, गणेश, काम' प्रादि देवता हैं। इस कोटि के शब्दो मे अधोलिखित देवता विशेषतया उल्लेखनीय हैं ।
प्रेम के देवता काम के लिए कई शब्द हैं जैसे - ईसरो 1-84 ऊसण1-139, कतू 2-1, कुरुकुरिन 2-42, मुरुमुरिन 6-135, मम्मणो-6-141,
1. 'देशीनाममाला' की देवताओ से सम्बन्धित शब्दावली मे 'काम' से सम्बन्धित शब्दो की
भरमार है। यह देवता निम्न चित्तवृत्ति वालो के लिए ही विशेष पूज्य होता है।