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________________ [ 117 यू त क्रीडा नुरा से सम्बन्धित शब्दो की भाति इस प्राकृत कोश मे चू त-क्रीडा से सबधित पाव्दो की भी कमी नहीं है । इन शब्दो का क्रमिक उल्लेख समीचीन होगा। अबेट्टी 1-7, ग्राऊडिग्न 1-68, ग्राफरो 1 - 63, ऊया 1-139, प्रोक्काणी 1-59 ये शब्द धन कीडा के लिये व्यवहन है। तनोडा के अलग-अलग अड्डे होते थे। इसका मकेत टेंटा 4-3 (जूप्राघर) शब्द के प्रयोग से मिलता है । सकलित शब्दो को देखते हए ऐसा लगता है जैसे यह कोई निपिद्ध व्यापार न रहा हो । स्वतत्र जुया घरो और उनके मालिको' के उल्नेल इस तथ्य की पुष्टि करते है। एक जगह कत्ता (2-1) जुए मे पेली जाने वाली कोने का उल्लेख देसकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे कोडी से ही जुना खेलने का प्रचलन अधिक रहा हो । अाज भी ग्रामीण जीवन मे यह कोडी में खेला जाने वाला जुया - हजारो घरो को तबाह कर देता है । मद्यपान और यू त क्रीडा से सम्बन्धित उपर्युक्त शब्दावली, इन शब्दो का प्रयोग करने वाले वर्ग के लोगों के रहन-मन तथा प्राचार विचार को रपष्ट करने मे सर्वथा समर्थ है। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि "देशीनाममाला" सकलित, खान-पान का द्योतन करने वाली शब्दावली प्राधुनिक ग्रामीण जीवन के स्तर से बहुत कुछ मिलती-जुलती है। भारत जैसे विस्तृत राष्ट्र मे जहा अनेको सुसस्कृत जातिया रहती हैं, इनके बीज आज भी खोजे जा सकते है । भारत मे अनेको ऐसे रहन-सहन के लोग मिलते है जिनकी तुलना इस कोश मे सकलित शब्दो के वातावरण से अच्छी तरह की जा सकती है। यह पहले ही कहा जा चुका है कि इन शब्दो का सम्बन्ध समाज मे युग-युगो से रहती पायी निग्नवर्ग और निम्न मध्यम वर्ग की जातियो से है। घरेलू वस्तुए ___ 'देशीनाममाला' की गृहस्थी से सम्बन्धित सामान्य शब्दावली अधिकाशत ग्रामीण जीवन से ही सम्बन्धित है। इसमे अनेको शब्द तो ऐसे हैं जिनका प्रचलन आज भी उसी रूप मे और उसी अर्थ मे होता चला आ रहा है। इन शब्दो की अपरिवर्तित विकासमान अवस्था को देखते हुए इन्हे भी किसी युग विशेष से सवद्ध कर पाना एक अत्यन्त दुरुह कार्य है। कोश मे आयी हुई घरेलू वस्तुओ से सम्बन्धित शब्द इस प्रकार है - घरो मे प्रयुक्त होने वाली सूर्पादि सामान्य वस्तुप्रो के लिए यहा अवठ्ठस 1-30 शब्द व्यवहृत हुआ है । इसके अन्तर्गत धातुयो के बर्तन आदि भी आ जाते है। 1. डभिओ 4 8, पाउग्गिो 6-42 तथा पाउग्गो 6 41, शन्द जाधर के मालिक के अर्थ में सकलित हैं । इनका उल्लेख इसी अध्याय के प्रारम्भिक अशो मे किया जा चुका है।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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