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[ 105 वाले व्यक्ति को जोडियो 3-49, झोडियो 3-60, ताम्बूल पेटिका का वहन करने वाली दामी को डोगिली 4-12 श्रादि ।
इन पेशेवर जातियो के उल्लेख के अतिरिक्त कुछ निम्न वर्ग की जाति के लोगो का उल्लेख भी प्राप्त हो जाता है। सबसे निम्न वर्ग की जाति चाण्डाल की बतायी गयी है इसके लिए डुबो 4-11, शब्द आया है । इस जाति के लोग सम्भवत अपनी अस्पृश्यता का सकेत करने के लिए अपने हाथ मे एक बाम की छडी लिये रहते थे। इस वास की छडी के लिए झज्झारी 3-54, खिखिरी 2-73 शब्द आये हैं । गदगो 2-48 तथा मोरत्तो 6-140 से एक अत्यन्त निम्न कोटि की जाति का भी उत्लेख मिलता है।
__ जातियो का निर्देश करने वाले इन शब्दो के अतिरिक्त कुछ ऐसे वर्ग के स्त्री पुरुपो का उल्लेख भी मिलता है जिन्हे समाज मे हेय दृष्टि से देखा जाता रहा होगा। 'देशीनाममाला' मे कुलटा स्त्रियो के लिये कई शब्द आये हैं जैसे केली 2-44, खडई 2-67, झडुली 3-61, झडली 3-54, पुण्णाली 6-53, भभी 6-99 आदि । दुश्चरित्रा स्त्रियो के लिए अज्झा 1-50, अडयणा तथा अडया 1-18, दुश्चरित्र पुरुषो के लिए अणड 1-18, उल्लेहडो 1-104, इत्यादि । इन शब्दो को देखकर ऐसा लगता है जैसे समाज अत्यन्त मर्यादावादी रहा हो । पुरुष वर्ग मे ठग के लिए कालो 2 28, चोर के लिए अदसणो 1-1 29, इक्को 1-80, उड़डहणो 1-101, कलमो 2-10. चोरो के समूह के लिए पडीरो 6-8, जेबकट या पाकिटमार के लिए चारणग्रो 3-9 अादि विशेष उल्लेखनीय है ।
सामान्य स्त्री वर्ग-गुण और अवस्था के आधार पर स्त्रियो से सम्बन्धित अनेको शब्दो का उल्लेख इस कोश मे हुश्रा है जैसे-अोलइणी (1-160)-प्रिय स्त्री, कुट्टयरी कुमारी (2-35), गणणाइया (2-87) - कुद्व स्त्री या चण्डी, गहणी (2-84) हरण करके लायी गयी स्त्री गहिया (2-85) इच्छित स्त्री, दुदुमिणी (5-45) सुन्दरी स्त्री दुम्म इणी (5-47) - कलह शीला स्त्री तथा अहिविण्णा (1-25) ऐसी स्त्री जिसके पति ने दूसरी पत्नी कर ली हो ।
इन शब्दो को देखकर जिम समाज का कल्पना चित्र मस्तिष्क मे उठता है वह भारत जैसे ग्राम प्रधान देश के लिए दुर्लभ बात नही है । भारत के विभिन्न प्रान्तो मे फैले हुए सुविस्तृत ग्रामीण अचलो की सस्कृति के बीच इन शब्दो की सार्थकता आज भी खोजी जा सकती है। सामाजिक एवं पारिवारिक सम्बन्ध
सामाजिक एव पारिवारिक सम्बन्धो को द्योतित करने वाले अनेको शब्द इस