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________________ 104 ] सामग्री शासन व्यवस्था प्रादि पर अच्छा प्रकाश पडता है । इस प्रकार 'देशीनाममाला' के 'तद्भव' और 'देशी' दोनो ही शब्द म्वय मे एक सास्कृतिक स्वरूप छिपाये हुए हैं जिनका विवेचन अलग-अलग शीर्पको के अन्तर्गत कर लेना समीचीन होगा। देशीनाममाला का सामाजिक वातावरण 'देशीनाममाला' मे ग्रामीण जीवन में सहायक अनेको श्रमजीवियों का उल्लेख हना है । इनमे माली, दर्जी, धोबी, कहार, सोनार आदि अनेको श्रमजीवियो के लिये शब्द मिलते है। माली के लिये दो शब्द प्रारम्भिनो 1-71 तथा वड्डहुली 7-42 आये हैं। इस कोश के शब्दो से पता चलता है कि गुजरात के ग्रामीण जीवन में पुष्पमालानो से केश सज्जा अादि का बहुत बडा महत्त्व था। इन मालाओं का निर्माण करने वाला व्यक्ति अपने 'कर्म' के आधार पर 'माली' या 'मालाकार' कहलाता है। धोवी-घोवी या घोविन के लिए इस कोश मे कई शब्द हैं-घोत्रा 5-32 घोबी । उप्फु किया 1-114 घोविन तथा हिक्का 8-66 और फुक्की 6-84 । नाई चन्दिलो 3-2 | छुरभड्डी 3-31 । छुरहत्थो 3-31 1 वारियो 7-47 । मज्जियो 8-47 । मज्झयो 6-115 । रत्तीयो 7-2 । उच्छीउत्तो 7-471 दर्जी -श्रासीवो 1-69 | घरो मे पानी भर कर देने वाले वर्ग के लोग 'कहार' कहलाते हैं । इसके लिए काहार 2-27 शब्द पाया है । लोहे का काम करने वाली जाति के लिए फूअ 6-85 | स्वर्णकार के लिए झरो 3-54 तथा केवल कगन बनाने वाली जाति के लिए वाणो 7-54 शब्द आये है । इसी प्रकार अन्यानेक पेशेवर जातियो से सम्बन्धित शब्द हैं जैसे इत्र वेचने के लिये गधपिसापो 2-87, वनिये के लिये इन्भो 1-79, दूध का व्यापार करने वाले ग्वाले के लिए काहिलो 2-28, कपडा बुनने वाले के लिये कोलियो 2-65, कसाई के लिए खट्टिक्को 2.70, घर मे काम करने वाली दासी के लिये खोट्टी 2-77 तथा तालप्फली 4-11, दास के लिये छोइनो 3-33, गुलाम दासी के लिये दुल्लसिया 5-46, घर मे पानी भरने वाली नौकरानी के लिये दोहणहारी 5-56 पुराने अस्त्र-शस्त्रो को माज कर साफ करने वाले को तोमरियो 5-18, ईख की पेराई करने वाले मजदूर को तूमो 5-16, साधारण श्रमिक को पडिअ तो 6-32, हल चलाने वाले को भाइल्लो 6-104, हाथी चालक पीलवान को मेठी 6-131, जुअाघर चलाने वाले को पाउग्गियो 6-42, पाउग्गो 6-31, डभिनो 4-8, पठन-पाठन का कार्य करने वाले व्यक्ति को पडिज्मयो 6-31, विवाह इत्यादि की गणना करने वाले ज्योतिषी को मती 6111, शरीर का व्यापार करने तथा गाने वाली स्त्री या वेश्या को वेल्लरी, गावजाकर पेट पालने वाली स्त्री को गत्ताडी 2-82, शिकार करके जीविका चलाने
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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