SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देशीनाममाला का सांस्कृतिक अध्ययन - - - - ग्राचार्य हेमचन्द्र की 'देशीनाममाला' केवल भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से ही महत्त्वपूर्ण नही है अपितु सास्कृतिक एव साहित्यिक दृष्टि से भी इसका बहुत बड़ा महत्त्व है। इसमे संकलित शब्द सम्पत्ति ने अपने अन्तराल मे सदियो से चली आयी जन साधारण की सस्कृति को सजो रखा है। इन शब्दो का सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक तथा धार्मिक अनेको दृष्टियो से बहुत बड़ा महत्त्व है। लौकिक जीवन में अनेको ऐसे रीति-रिवाजो का प्रचलन आज भी है जो युग-युगो से परम्परा मे प्रचलित चले आये हैं परन्तु उनका सन्दर्भ ढूढना अत्यन्त दुरूह कार्य है। इस प्रकार के अनेको असन्दर्भ रीति-रिवाजो और सामाजिक मान्यताप्रो का परिचय हमे इस शब्द कोश मे सकलित शब्दो के माध्यम से प्राप्त होता है । 'देशी' शब्द बहुत प्राचीन काल से साधारण या प्रशिक्षित समाज की वोलचाल की भाषा के शब्द हैं । उस युग तथा तयुगीन समाज की मान्यताप्रो का स्पष्ट चित्र इन शब्दो के माध्यम से खीचा जा सकता है। इन शब्दो के माध्यम से हमे अनेको ऐसे सम्बन्धो और सामाजिक नियमो तथा धार्मिक अनुष्ठानो का पता चलता है जिनके बारे मे सामान्यतया लोग आज भी अन्धकार मे हैं । जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है 'देशीनाममाला' के सभी शब्द तथाकथित प्राथमिक प्राकृत के ही नही हैं । इसके अनेको शब्द साहित्यिक प्राकृतो की देन है । इन शब्दो का भी अपना विशिष्ट सास्कृतिक महत्व है। ऐसे शब्द स्वय हेमचन्द्र के समय की साधारण जनवर्ग की सस्कृति का सुष्ठ द्योतन करने मे अत्यन्त समर्थ है। इन शब्दो के माध्यम से तत्कालीन गुजरात के सामाजिक चाल-चलन, पहनावे, कृषि 1 द्रष्टव्य-अध्याय 5-देशी शब्दो का विवेचन ।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy