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________________ 94] मलिन चन्द्रमा को भी प्रतिक्रान्त करने वाली है।" अर्थात् तुम्हारे यश की बदलता की समानता मलिन चन्द्रमा कैसे कर सकता है ? कुमारपाल के यश का गुणगान उमकी प्रजा और वन्दीजन तो करते ही हैं, आकाशचारी विद्यावर भी नित्य किया करते हैं। गुणमरिणणायहर चुलुक्क तुझ मायदक जमाडिय ए। गाएइ पुलयमाई खयरिजणो माहमालधवल जस ।। 61111112811 "गुण रूपी मणियो के समुद्र, चालुक्य नरेण! तुम्हारे अाम्रकु जगृह मे पुलक्ति रोम वाले खेचर (विद्याधर) तुम्हारे कुन्द एव ज्योत्स्ना के समान धवल यश का गान करते हैं।" उपर्युक्त कुछ उदाहरण यह सिद्ध करने के लिये पर्याप्त हैं कि प्राचार्य हेमचन्द्र बहुमुखी प्रतिभा के कवि थे । शृंगारिक पद्यो के समान ही उनके कुमारपाल की प्रशस्ति में सम्बधित पद्य भी हिन्दी के आदिकालीन चारणकाव्यो तथा रीतिकाल के भूपण प्रादि के प्रशस्तिपरक कवित्तो की पृष्ठभूमि के रूप मे, अपनी विशिष्ट महत्ता रखते है। प्राचार्य हेमचन्द्र के ये प्रशस्ति पद्य तत्कालीन रासक परम्परा की कृतियो तथा उसके पूर्व सस्कृत के दरबारी कविपो की प्रशस्तियो को जोडने वाली कडी के रूप मे देखे जा सकते हैं। हिन्दी साहित्य की प्रादिकालीन चारणो और भाटो की प्रशस्तियो पर हेमचन्द्र के इन पद्यो का प्रभाव स्पष्ट ही परिलक्षित किया जा सकता है। प्राश्रयदाता राजा की प्रशसा मे उसके शत्रु प्रो के अपकर्ष का वर्णन स्वय उमकी राज्यश्री और वीरता एव दानशीलता का वढा चढाकर किया गया वर्णन हिन्दी के दरबारी कवियो मे सुलभ वस्तु है। केशव और भूपण जसे रीतिकालीन हिन्दी कवियो मे तो इस प्रकार की कविता की प्रवृत्ति बहुल मात्रा मे है । (3) "रयारणावली" के विविध विषयात्मक पद्य : प्राचार्य हेमचन्द्र एक उच्चकोटि के व्याकरणकार, भापाविद एव महृदय कवि होने के साथ ही एक उच्च कोटि के युगद्रष्टा, लोकव्यवहारज्ञ एव नीतिज्ञ भी थे। इनकी "रयणावली" मे लगभग 120 पद्य ऐसे है जिनमे लोकव्यवहार की शिक्षा, नैतिक उपदेश, देवी देवताओ की चर्चा तथा अन्य सामान्य विपयो को निवद्ध किया गया है। इनमे अनेको पद्य ऐसे हैं जिनमे मानवजीवन के निर्माण मे सहायक तथा जनजीवन को प्रेरणा प्रदान करने वाले सुन्दर उपदेश निबद्ध हैं। धर्मोपदेशक जैन श्राचार्यों मे हेमचन्द्र का नाम बडे पादर के साथ लिया जाता है। "रयणावली" के इस कोटि के पद्यो को मुनि रामसिंह की 'पाहुडदोहा' तथा अन्य जैन मुनियो की उपदेशात्मक कृतियो के पद्यो की तुलना मे रखा जा सकता है। प्रो० मुरलीधर बनर्जी
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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