________________
राष्ट्रोत्थान में सक्रिय सहयोग
श्री जगजीवनराम
रेल मन्त्री, भारत सरकार
आत्मोत्थान और नैतिक चारिम्य निर्माण अन्योन्याश्रित है एक को छोड दूसरा सम्भव नही । धर्माचार्य दोनों का मार्ग-दर्शन करने में अधिक समर्थ होते है। ऐसे बाचायों में ही प्राचार्यश्री तुलसी का स्थान है।
आचार्यश्री ने अपने गत पच्चीस वर्षो के प्राचार्यत्व एवं सार्वजनिक सेवाकाल में राष्ट्र के आध्यात्मिक व नैतिक उत्थान में सक्रिय सहयोग दिया है। अणुव्रत आन्दोलन के रूप में आपकी सेवाएं सराहनीय है। इस उपलक्ष में उनका अभिनन्दन करना अपने दायित्व को निभाना ही है। बाचायंत्री के सन्देशों व उपदेशों का समावेश करके ग्रन्थ को स्थायी महत्त्व की वस्तु बनाने का प्रयत्न किया जायेगा, इस आशा के साथ मैं अपनी शुभकामना प्रेषित करता हूँ।
विश्व- मैत्री का राज मार्ग
श्री यशवन्त राव चह्वाण मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र
सितम्बर मास के प्रन्त की बात है, राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में भाग लेने मैं दिल्ली पहुँचा हुआ था । अकस्मात् श्राचार्य श्री तुलसी के अनुयायी मुनि ( मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी 'प्रथम' ) मे साक्षात्कार हुआ। उन्होंने प्राचार्यश्री तुलसी धवन समारोह का ब्यौरा मुझे बताया। वर्षो की मुषुप्त स्मृतियां मेरी आँखों के सामने आ गई। आचार्यश्री बम्बई आये थे। लगभग महीने तक प्रधान्दोलन का प्रभावशाली कार्यक्रम चला था । मैं अनेकों बार उस समय प्राचार्यश्री के सम्पर्क में आया । उनका व्यक्तित्व अविस्मरणीय है ।
प्रत्येक मनुष्य शान्ति चाहता है, पर वह शान्ति व सुख के मार्ग पर चलता नहीं। यही तो कारण है कि आज भीषणतम आणविक अस्त्रों के परीक्षण चल रहे हैं। मनुष्य सत्ता लोलुप होकर सस्कृति और सभ्यता के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यह प्राध्यात्मिक शून्य भौतिक प्रगति का परिणाम है। प्राचार्यथी जैसे लोग आध्यात्मिकता के उन्नयन में लगे हैं। यह चिर शान्ति का मार्ग है, मानवता के विकास का मार्ग है। मनुष्य हैवान रहते हुए चन्द्रलोक में भी यदि पहुंच गया तो वहाँ भी उसे धात्मिक शान्ति के प्रभाव में धधकते अंगारे ही मिलेंगे मणुव्रतआन्दोलन विश्वबन्धुता और विश्वमंत्री का राजमार्ग है। प्राचार्यश्री भूले-भटके लोगों को राह लगा रहे हैं। उनके प्रति मेरे हृदय में प्रगाध श्रद्धा और असीम सम्मान है ।